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संघ के एक प्रचारक ने ढहा दिया लेफ्ट का दूर्ग त्रिपुरा

अगरतला,
त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में बीजेपी अप्रत्याशित बढ़त हासिल होते हुए सत्ता में काबिज हो गई है। बीजेपी ने 2013 चुनाव के मुकाबले शानदार प्रदर्शन किया है। पिछले चुनाव में बीजेपी एक भी सीट नहीं हासिल कर पाई थी वहीं इस बार पार्टी बहुमत पा लिया है।

बताया जा रहा है कि नॉर्थ ईस्ट में बढ़े बीजेपी के प्रभाव के पीछे एक ऐसे शख्स का हाथ है जो खुद न तो कभी यहां से चुनाव लड़ा और न ही मीडिया में आया। फिर भी विरोधी दलों के पसीने छुड़ा दिए। इस शख्स का नाम है सुनील देवधर। जिन्होंने नॉर्थ ईस्ट में बीजेपी के लिए नई उम्मीद जगाई है। वाम सरकार को चुनौती देने का सेहरा भी बीजेपी सुनील देवधर के सिर ही बांधती है।

वे लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे हैं। उन्हें बीजेपी ने नॉर्थ ईस्ट की जिम्मेदारी दी थी। यहां रहते हुए उन्होंने स्थानीय भाषाएं सीख ली। बताया जाता है कि जब वो मेघालय, त्रिपुरा, नगालैंड में खासी और गारो जैसी जनजाति के लोगों से मिलते हैं तो उनसे उन्हीं की भाषा में बात करते हैं। ये भाषा उन्होंने महज ढ़ाई साल के दौरान सीखी।
कहा जाता है कि देवधर के पास पहले वाराणसी समेत उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी थी। यहां चुनावों में बीजेपी के अच्छे प्रदर्शन के बाद उन्हें नॉर्थ ईस्ट की जिम्मेदारी मिली।

बता दें कि देवधर हैं तो मराठी, लेकिन फर्राटेदार बंगाली भी बोलते हैं। वे लंबे स
आपको याद हो तो विधानसभा के चुनावों से ठीक पहले कई दलों के नेता और विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे। कहते तो यह भी हैं कि त्रिपुरा में वाम दलों, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस में सेंध मारने का काम भी उन्होंने ही किया है।
यही नहीं, उन्होंने ही ‘मोदी लाओ’ की जगह ‘सीपीएम हटाओ’, ‘माणिक हटाओ’ जैसे नारे चुनाव में लाए।

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