काल चक्र में तीन प्रकार के उपाय परेशानियों को दूर करने के लिये बताये गये है। पहला मंत्रों के द्वारा.. दूसरा तंत्रों के द्वारा और तीसरा यंत्रों के द्वारा।
हमारा शरीर भी एक भौतिक यंत्र है,जो बायोकेमिक प्लांट की तरह से चलता है। इसे चलाने के लिये तंत्र की जरूरत उसी प्रकार से होती है, जिस प्रकार से किसी गाडी या मशीन को चलाने के लिये इन्जीनियर की जरूरत पडती है। इन्जीनियर का दूसरा नाम ही तंत्र है। तंत्र का अर्थ है हमारा शरीर। जब तंत्र बिगड़ जाता है तो इसे योग, मंत्र और यंत्र की सहायता से ही ठीक किया जात है।
दिमाग को साधने के लिये और शरीर की विभिन्न प्रकार की गतियों को सुधारने के लिये मंत्र की आवश्यकता पड़ती है। मंत्र ध्यान का एक रुप है। मंत्र दिमाग को कंट्रोल करके आपको स्वास्थ्य लाभ देने में सहायक होता है। डिप्रेशन और कलह की स्थिती में सबसे कारगर सिद्ध होता है मंत्र। मंत्र दिमाग के भटकाव को रोकता है। दिमाग का योगा ही मंत्र है। जिस प्रकार से योगा के द्वारा हम शरीर को स्वास्थ बनाते है—वैसे ही मंत्र दिमाग को स्वास्थ बनाने का काम करता है।
यंत्र..सृष्टि पर ग्रहों का काफी प्रभाव पड़ता है। सूर्य से गर्मी का बढ़ना और चंद्र से शीतलता का आना..ये सब हम जानते है। जो घटनाएं सृष्टि पर असर ड़ालती है—वे मानव शरीर और जीवन पर प्रभाव ड़ालती है। मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों को कम या ज्यादा करने के लिए यंत्र
की आवश्यकता पड़ती है। प्रत्येक समस्या के लिए अलग—अलग यंत्र होते है। उनका विधिपूर्वक प्रयोग करके समस्याओं से काफी हद तक छुटकारा पाया जा सकता है।
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