ज्योतिष

27 को रहेगा सदी का सबसे बड़ा चंद्रग्रहण, 6 अन्य ग्रह भी रहेंगे प्रभावित

हिसार,
सदी का सबसे बड़ा चंद्रग्रहण (करीबन 4 घंटे) 27 एवं 28 जुलाई की मध्य रात्रि को रहेगा। यह पूर्ण चंद्रग्रहण रहेगा। खास बात यह है कि यह लंबी अवधि का चंद्रग्रहण रहेगा। 27 जुलाई की रात्रि 11 बजकर 54 मिनट बजे प्रारंभ होकर 28 जुलाई की रात्रि 3 बजकर 49 मिनट पर समापन होगा। रात्रि 1 से 2 बजकर 43 मिनट तक पूर्ण चंद्रग्रहण रहेगा। अर्थात 1 घंटा 43 मिनट तक पूर्ण चंद्रग्रहण रहेगा।

अमूमन ऐसा सैकड़ों-हजारों वर्षों में होता है। इसलिए इसे सदी का सबसे बड़ा चंद्रग्रहण भी कहा जा रहा है। ग्रहण का सूतक 27 जुलाई को दोपहर 2 बजकर 53 मिनट पर लग जाएगा। मंदिरों में शाम को पूजा नहीं होगी। ग्रहण के बाद दान-पुण्य करना उत्तम माना गया है। अखिल भारतीय ज्योतिष अनुसंधान केंद्र अर्बन एस्टेट, हिसार के संस्थापक पंडित राजेंद्र प्रसाद कौशिक बताते हैं कि इस ग्रहण के चलते कई विशेष परिस्थितियां इस प्रकार से रहेंगी:-
* ग्रहण 3 घंटे 54 मिनट तक रहेगा। जबकि आमतौर पर यह 1 घंटा ही रहता है।
*ग्रहण के समय सूर्य राहु बुध, व चंद्र मंगल केतु 6 ग्रह राहु-केतु से प्रभावित रहेंगे।
* ग्रहण से एक दिन पूर्व 26 जुलाई को बुध वक्री का होना।
* राहु-शनि का षडास्टक होना।
* सबसे अहम यह कि श्रावण नक्षत्र पर ग्रहण होना।

ग्रहण का प्रभाव:
पंडित राजेंद्र कौशिक के अनुसार ऐसा ग्रहण दुर्लभ होता है। सैकड़ों और हजारों वर्ष लग जाते हैं जब इतनी लंबी अवधि का चंद्र ग्रहण होता है। चूंकि ग्रहण लंबा चलेगा तो इसका प्रभाव एक महीने तक रह सकता है। आषाढ़ शुक्ल पूर्णमासी शुक्रवार को मकर राशि व उतरा षाढा व श्रावण नक्षत्र में हो रहा है। चूंकि ग्रहण पूर्ण है तो यह लाभकारी नहीं रहता। लंबी अवधि होने के चलते शुभ संकेत भी नहीं हैं। चंद्रग्रहण का खासा प्रभाव गर्भवती स्त्रिीयों, बच्चों एवं सामाजिक परिस्थितियों, कृषि आदि पर अधिक होता है। श्रावण में श्रवण नक्षत्र में ग्रहण एतिहासिक महावृष्टि करता है।

नवग्रहों में 6 में होगा खासा असर:
यह ग्रहण कुल नवग्रहों में से 6 ग्रहों को खासा प्रभावित करेगा। इसके चलते भारी नुकसान, मकान, वाहन उपद्रव, प्राकृतिक हलचलें जैसे वर्षा, बाढ़, लैंड स्लाइडिंग, तूफान आदि की प्रबल संभावना रहेगी। वहीं सामाजिक हलचलें भी खूब प्रभावित करेंगी। इससे ठीक एक दिन पहले 26 जुलाई को अचानक राक्षस नक्षत्र में बुध का उदय होना भी पृथ्वी तत्व को कुपित करता है। यह भी एक अच्छा संकेत नहीं माना जा सकता। वहीं, राहु-शनि का षडाष्टक योग से अचानक सेना पर आक्रमण हो सकता है। या सेना को किसी विशेष कार्य में भी लगाना पड़ सकता है।

प्रशासन व आमजन बरतें सावधानी:
भारी नुकसान की संभावनाओं के मद्देनजर इसे नजरंदाज नहीं करना चाहिए। प्रशासन को अलर्ट होकर अपनी व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर लेनी चाहिए। किसी भी आपातकाल से बचने के उपाय कर लें। वहीं आमलोग को भी सावधान रहने की आवश्यकता है।

राशियों पर क्या रहेगा प्रभाव:
मेष, सिंह, वृश्चिक एवं मीन राशि वालों के लिए यह शुभ रहेगा।
मिथुन, कन्या, तुला, मकर वालों के लिए लाभकारी नहीं है।
वृष, कर्क तथा धनु राशि वालों के लिए मध्यम रहेगा।

उपाय: गर्भवती स्त्रियां चोटी में दाब डालें या गोद में नारियल रखें। ग्रहण के समय भोजन एवं मल-मूत्र त्यागना वर्जित माना जाता है। ग्रहण के कुप्रभाव को कम करने के लिए मंत्र ‘ओम या ओम नमो: भगवते वासुदेवाय: नम:’ करें। ग्रहण समापन पर अलसुबह 3 बजकर 49 मिनट के बाद ‘ओम नम: सोमनाय’ मंत्र का जाप कर स्नान कर दान-पुण्य करना चाहिए। देव पूजन, चंद्रमा को चावल, दूध, पानी, घी और खांड का अर्ध्य देना चाहिए।

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