हरियाणा

2009 के आदमपुर चुनाव में हुड्डा और जयप्रकाश की एक भूल बनी हार का कारण

आदमपुर
VIDEO : आदमपुर का वो उपचुनाव जिसमें हील गया था चौधरी भजनलाल का कीला
करीब 13 साल बाद चौधरी भजनलाल परिवार और चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सेना आदमपुर विधानसभा के चुनाव में एकबार फिर आमने—सामने है। चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 13 साल बाद अपने पुराने सेनापति जयप्रकाश जेपी को ही मैदान में उतारा है जबकि चौधरी भजनलाल परिवार से भव्य बिश्नोई मैदान में उतरे है। इसके अलावा एक और बड़ा बदलाव इस चुनाव में है। पहले चुनाव में जयप्रकाश जेपी सत्ता पक्ष के उम्मीदवार थे लेकिन इस बार भव्य बिश्नोई सत्ता पक्ष से उतरे है। पिछले चुनाव में सत्ता का फायदा जयप्रकाश जेपी को हुआ था वो फायदा अब भव्य बिश्नोई को होता नजर आ रहा है। आज हम बात करेंगे 2009 के चुनाव की, उस चुनाव में ऐसा क्या हुआ कि सत्ता पक्ष में होते हुए भी जयप्रकाश जेपी मात खा गए थे।

दरअसल, 2009 में आदमपुर विधानसभा सीट पर हुए चुनाव में कुलदीप बिश्नोई और जयप्रकाश जेपी में कांटे की टक्कर रही थी। ऐसा चुनाव आदमपुर विधानसभा सीट पर कभी नहीं देखा गया। मुकाबला कड़ा होने के साथ—साथ सांस रोक देने वाला था। हरियाणा की सत्ता उस समय कांग्रेस के पास थी। चौ.भूपेंद्र सिंह हुड्डा सीएम थे। इस चुनाव में हुड्डा सरकार की पूरी सेना आदमपुर विधानसभा में पसरी हुई थी। सट्टा बाजार भी उस समय कांग्रेस की जीत को दिखाने लगा था। सभी सर्वे कांग्रेस के पक्ष में जा रहे थे। लेकिन चुनाव से एक दिन पहले चौ.भजनलाल के नाम का इमोशनल कार्ड खेला गया। आदमपुर शहर और विधानसभा क्षेत्र के बड़े गांव सदलपुर में रातों—रात हवा का रुख भावुक हो गया और कुलदीप बिश्नोई के पक्ष में चला गया।

इस चुनाव में चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा और राजनीतिक के बड़े खिलाड़ी जयप्रकाश जेपी गांव सदलपुर और आदमपुर शहर के वोटरों से मात खा गए। दोनों ने अपना सबसे ज्यादा जोर इन 2 क्षेत्रों में लगा दिया। इसका फायदा उठाकर चौधरी भजनलाल समर्थक सीसवाल और गांव आदमपुर जैसे बड़े क्षेत्रों में अपना दबदबा बढ़ाते चले गए। चुनाव से पहले की रात गांव सदलपुर और आदमपुर शहर में कुलदीप बिश्नोई ने जनता से संवाद कायम किया और चौधरी भजनलाल के नाम की दुहाई दी। यहीं से पूरा चुनाव बदल गया। सदलपुर, आदमपुर शहर, गांव आदमपुर और सीसवाल से कुलदीप बिश्नोई को ऐसी लीड मिली कि वो आखिर तक टूट नहीं पाई और पूरे ताम—झाम लगाने के बाद भी चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सेनापति के रुप उतरे जयप्रकाश जेपी को इस चुनाव में 6015 वोट से हार का सामना करना पड़ा।

2009 के इस चुनाव में हरियाणा जनहित कांग्रेस पार्टी बीएल की तरफ से कुलदीप बिश्नोई को 48224 वोट मिले। उनके प्रतिद्वंदी रहे कांग्रेस के जयप्रकाश जेपी को 42209 वोट मिले थे। वहीं इनेलो की तरफ से उम्मीदवार रहे राजेश गोदारा को 8676 वोट मिले थे। इस चुनाव में बसपा प्रत्याशी राजेश कुमार ने 2930 वोट प्राप्त किए थे। जबकि पांचवें नम्बर रही भाजपा के उम्मीदवार पवन खारिया ने 1210 वोट प्राप्त किए थे। इस चुनाव में सबसे बड़ी खासियत यह रही कि चौधरी भजनलाल को अपने क्षेत्र में करीब 7 प्रतिशत वोट कम मिले। इस चुनाव में उनके लाडले कुलदीप बिश्नोई को 45.77 प्रतिशत वोट मिले। जबकि इससे पहले की चुनावों में उनको 52 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिलते रहे थे। इनेलो का स्थायी वोट बैंक आदमपुर क्षेत्र में सदा से 15 हजार के आसपास रहा है। लेकिन इस चुनाव में करीब 7 हजार वोटर इनेलों से छिटक कर कांग्रेस की झोली में जा बैठे। बसपा और भाजपा का प्रदर्शन उम्मीद के अनुरुप ही रहा।

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि 2009 का चुनाव आदमपुर के इतिहास का पहला ऐसा चुनाव था जब चौधरी भजनलाल के खिलाफ के वोट एक साथ एक मंच पर आकर उनको कड़ी चुनौती पेश करने में कामयाब हुआ था। अब 13 साल बाद 2022 में चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा और जयप्रकाश जेपी फिर से चौधरी भजनलाल के खिलाफत वाले वोटरों को एकजुट करने में जुटे हुए है, वे इसमें कितने कामयाब होते है—यह चुनाव के नतीजों के बाद ही पता चल पायेगा।

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