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योगी से नाराज हुए बाबा रामदेव, यूपी से शिफ्ट होगा पतंजलि फूडपार्क

नई दिल्ली,
योगगुरु बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि ने यूपी में लगने वाले पतंजलि फूड पार्क को शिफ्ट करने का ऐलान किया है। रामदेव के करीबी आचार्य बालकृष्ण ने अपने ट्विटर अकाउंट से इस बात की जानकारी दी। बालकृष्ण ने लिखा कि आज ग्रेटर नोएडा में केन्द्रीय सरकार से स्वीकृत मेगा फूड पार्क को निरस्त करने की सूचना मिली। श्रीराम व कृष्ण की पवित्र भूमि के किसानों के जीवन में समृद्धि लाने का संकल्प प्रांतीय सरकार की उदासीनता के चलते अधूरा ही रह गया। उन्होंने आगे लिखा कि पतंजलि ने प्रोजेक्ट को अन्यत्र शिफ्ट करने का निर्णय लिया गया है। आपको बता दें कि पिछली अखिलेश सरकार के कार्यकाल में योगगुुरु रामदेव को पतंजलि फूड पार्क बनाने के लिए जमीन दी थी।

यूपी में काम नहीं धींगामस्ती हो रही हैः बालकृष्ण
एक चैनल से बातचीत में आचार्य बालकृष्ण ने कहा, हम चाहते थे कि यूपी के करोड़ो भाई बहनों के लिए काम करें। केंद्र के फूड प्रोसेसिंग मंत्रालय ने इसे मंजूरी भी दे दी थी। लेकिन यूपी सरकार ने इस काम को बीच में ही रोक दिया। साइट पर हमने काम शुरू कर दिया था। यह यमुना एक्सप्रेस वे का सबसे बड़ा प्रोग्राम था। लेकिन यूपी सरकार की उदासीनता से यह काम रुक गया। उन्होंने कहा कि यूपी सरकार की उदासीनता से केंद्र का काम रुक गया।

बालकृष्ण से जब पूछा गया कि योगगुरु रामदेव ने इस बारे में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से बात क्यों नहीं की? तो बालकृष्ण ने कहा कि यूपी में हमने पूरी पेमेंट देकर जमीन ली थी। पिछली अखिलेश सरकार ने इस बारे में पूरी कार्यवाही की थी। लेकिन योगी सरकार ने पता नहीं क्यों इस परियोजना का अधर में लटका दिया। बालकृष्ण ने कहा कि हम योगी जी का सम्मान करते है, उनकी राष्ट्रवादी विचारधारा का भी हम सम्मान करते है। यह काम योगी जी के चलते नहीं, उनके अधिकारियों के चलते रुका है। इसी उदासीनता के चलते चलते हम इसे शिफ्ट कर रहे है। बालकृष्ण ने कहा कि यूपी प्रशासन में धींगा मस्ती हो रही है काम नहीं हो रहा है।

गौरतलब है नवंबर 2016 में उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार ने योगगुरु रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद के राज्य में 2,000 करोड़ रुपये के निवेश को मंजूरी दे दी थी। इसमें यमुना एक्सप्रेसवे पर 450 एकड़ में फूड पार्क की स्थापना भी शामिल थी। इसमें ग्रेटर नोएडा में 1,500 करोड़ रपये के निवेश से कृषि प्रसंस्करण संयंत्र की स्थापना का प्रस्ताव भी शामिल थी।

इसके लिए करीब 450 एकड़ जमीन की पहचान की गई थी। यह जमीन ग्रेटर नोएडा संयंत्र को आवंटित की गई थी। पंतजलि आयुर्वेद इस जमीन की खरीदा था। अखिलेश यादव की उत्तर प्रदेश सरकार ने इस निवेश प्रस्ताव को इसलिए तेजी से आगे बढ़ाने पर रुचि दिखाई जिससे निवेशकों को प्रोत्साहित किया जा सके और रोजगार के अवसरों का सृजन किया जा सके।

ग्रेटर नोएडा संयंत्र अंतरराष्ट्रीय फूड पार्क होना था जो विदेशी तथा घरेलू बाजार की जरूरतों को पूरा करता। पतंजलि के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आचार्य बालकृष्ण ने इस बारे में यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (वाईईआईडीए) के सीईओ के साथ कई बैठकें की थी। ऐसा अनुमान था कि जमीन के आवंटन के बाद यह इकाई 12 से 18 महीने में परिचालन में आ जाएगी। ग्रेटर नोएडा फूड पार्क में लगभग सभी प्रमुख उत्पादों का विनिर्माण होना था। एनसीआर क्षेत्र में होने की वजह से यह हब के रूप में काम करता।

पूर्ण क्षमता होने पर इस संयंत्र में सालाना 25,000 करोड़ रुपये के उत्पादों का उत्पादन होना था। इससे करीब 10,000 प्रत्यक्ष नौकरियों का सृजन होने की संभावना थी जिससे 50,000 परिवारों को लाभ होना था। इसके अलावा पतंजलि आयुर्वेद मध्य प्रदेश, असम, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर में भी इकाइयां स्थापित करने की प्रक्रिया में है।

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