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नॉलेज : किसी आपदा से कम नहीं है ट्रैफिक जाम की समस्या

एक ज़माना था जब लोग घर से बाहर निकलने से पहले गाड़ी में तेल और हवा चेक करते थे, लेकिन अब अपने मोबाइल फोन पर ट्रैफिक अपडेट देखते हैं। उन्हें डर रहता है कि अगर ट्रैफिक जाम में फंस गये तो उनकी यात्रा..किसी यातना में बदल जाएगी।

सड़कों पर बढ़ती वाहनों की भीड और अतिक्रमण के लालच ने देश की सड़कों को गलियों में बदल दिया है। जहां आप चलते नहीं बल्कि सरकते हैं या घिसटते हैं। एक अंतरराष्ट्रीय सर्वे के मुताबिक Asia के दूसरे देशों की तुलना में भारत की सड़कों पर ट्रैफिक 149 प्रतिशत ज़्यादा है। आप इसे सिर्फ़ एक आकंड़ा समझने की भूल न करें, क्योंकि ये ख़तरे का अलार्म है, जो हमारे सिस्टम को सुनाई नहीं दे रहा। सर्वे के मुताबिक दिल्ली में Peak Hours में 60 मिनट की यात्रा 137 मिनट की हो जाती है जबकि मुंबई में 60 मिनट की यात्रा 141 मिनट लंबी हो जाती है।

इसके अलावा बैंगलुरू में Peak Hours में 60 मिनट की यात्रा 157 मिनट और कोलकाता में ये यात्रा 163 मिनट की हो जाती है। जबकि एशिया के दो बड़े शहर सिंगापुर और Hong-Kong में 60 मिनट की यात्रा 94 मिनट और 98 मिनट में पूरी की जा सकती है। जिसकी नौबत कभी कभार ही आती है। भारत में समय की इतनी बर्बादी को यात्रा नहीं यातना कहना चाहिए। आपको जानकर हैरानी होगी कि इन चारों शहरों में ट्रैफिक Jam की वजह से हर साल 1 लाख 43 हज़ार करोड़ रूपये बर्बाद हो जाते हैं। ये एक बहुत बड़ी रकम है।

इस रकम से 28 हज़ार किलोमीटर सड़क का निर्माण किया जा सकता है लेकिन इस तरफ देश का सिस्टम ध्यान नहीं देना चाहता। उसका सारा ध्यान तो अतिक्रमण करने वाले लोगों से अपना हिस्सा वसूलने में लगा हुआ है। देश की तमाम सड़कों पर अवैध कब्ज़े हैं.. आम लोग इससे रोज़ परेशान होते हैं। लेकिन हमारे देश में बिना किसी रोक-टोक के.. सड़कों और फुटपाथ के अतिक्रमण की एक पूरी अर्थव्यवस्था चल रही है। जिसमें सिपाही से लेकर अफसर तक… भ्रष्टाचार के माध्यम से अपना अपना हिस्सा वसूल रहे हैं। देश का सिस्टम चाहे तो ये बहाना बना सकता है कि बढ़ती गाड़ियों की संख्या के सामने वो कुछ नहीं कर सकते। लेकिन देश का सिस्टम चाहे तो Asia के दूसरे देश China….South Korea और सिंगापुर से बहुत कुछ सीख सकता है। इन देशों में ट्रैफिक जाम को एक आपदा समझा जाता है जिसे रोकने के लिए वहां का सिस्टम Advance में तैयारियां करता है। इसके अलावा South Korea की राजधानी Seoul में भी भारत के महानगरों की तरह ज़बरदस्त भीड़ है, लेकिन इस शहर ने Technology की मदद से अपनी भीड़ को बहुत अच्छी तरह संभाला है।

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