नई दिल्ली,
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर अदालतें न्यायिक समीक्षा के अपने अधिकार के जरिए प्रतिस्पर्धी परीक्षाएं कराने वाले प्राधिकारों के फैसलों में हस्तक्षेप करती रहेंगी तो परीक्षाओं की शुचिता को नुकसान पहुंचेगा। कोर्ट ने कहा कि इस संबंध में एक सीमा रेखा खींची जानी चाहिए कि परीक्षा कराने वाले प्राधिकारों के फैसलों की किस हद तक न्यायिक समीक्षा की अनुमति हो सकती है।
न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की अवकाशपीठ ने यह टिप्पणी करते हुए उस याचिका पर अपना फैसला 14 जून के लिए सुरक्षित रखा जिसमें छात्रों ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) द्वारा कराई गई अवर अधीनस्थ (अपर सबओर्डिनेट) सेवा परीक्षा पर रोक या इसे रद्द करने की मांग की थी।
छात्रों ने अपनी याचिका में आरोप लगाया गया है कि यूपीपीएससी की पिछले साल हुई प्रारंभिक परीक्षा में पूछे गए कई प्रश्नों के जवाब गलत थे। उन्होंने कहा कि यूपीपीएसी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 30 मार्च के आदेश का पालन नहीं किया जिसमें उसने प्रारंभिक परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं को फिर से जांचने का निर्देश दिया था। मुख्य परीक्षा को पहले स्थगित किया गया था और इसके लिए 18 जून की तारीख तय की गई है।
अब बने गांव में न्यूज इंफॉर्मर..अपने गांव के समाचार प्रकाशित करवाये और रखे अपने गांव को सदा आगे..ज्यादा जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।