नई दिल्ली,
देशव्यापी ट्रांसपोर्टर्स ने आज यानी 18 जून से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। इस दौरान ट्रांसपोर्टर्स खान-पान और कुछ अन्य आवश्यक चीजों की आपूर्ती करते रहेंगे लेकिन इसके अलावा कमर्शियल और इंडस्ट्रियल सामान की ढुलाई बंद रहेगी। इस हड़ताल की शुरुआत ऑल इंडिया कन्फेडरेशन ऑफ गुड्स ऑपरेटर्स एसोसिएशन (AICOGOA) की अगुवाई में की गई है। हालांकि, ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (AIMTC) जैसे अन्य संगठनों सोमवार की बजाए अगले महीने से हड़ताल शुरू करने का प्रस्ताव रखा था।
सभी संगठनों का साथ न मिलने की वजह से हड़ताल को ज्यादा मजबूती मिलती दुखाई नहीं दे रही है लेकिन जानकारों के मुताबिक सप्लाई चेन टूटने की वजह से पूरे देश के कारोबार पर असर पड़ेगा। AICOGOA के प्रेसिडेंट बी चेन्नारेडी का कहना है, डीजल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी, थर्ड पार्टी प्रीमियम में इजाफा और जीएसटी से जुड़ी परेशानियों के चलते इस हड़ताल का ऐलान अप्रैल में ही कर दिया गया था। उससे पहले सरकार के साथ हुए कई बैठकों का दौर नाकाम रहा। रिपोर्ट्स के मुताबिक संगठन के सेक्रेटरी कौसर हुसैन ने बताया, देशभर में लोडिंग शनिवार को ही बंद कर दी गई थी और ऐसे में ढुलाई पर असर एक दो दिन में ही दिखने लगेगा।
हालांकि, इस दौरान दूध, सब्जियां, दवाइयां जैसी जरूरी चीजों की आपूर्ती जारी रहेगी। ऑल इंडिया फाउंडेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड ट्रेनिंग ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि हड़ताल का असर कर्नाटक, केरल, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडू, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल, उत्तराखंड और दिल्ली एनसीआर पर होगा। फाउंडेशन के कोऑर्डिनेटर एसपी सिंह के मुताबिक जरूरी वस्तुओं के हड़ताल से बाहर होने के चलते इसका असर कमर्शियल और इंडस्ट्रियल सप्लाई पर ही पड़ेगा। हालांकि, अगर हड़ताल लंबी चली तो कुछ श्रेणी के उपभोक्ताओं को सामान की किल्लत भी हो सकती है।
ट्रांसपोर्टर्स का आरोप है कि सरकार उनसे डीजल से रोड टैक्स के रूप में 8 रुपए प्रति लीटर और टोल टैक्स के रूप में 8 रुपए प्रति किलोमीटर वसूल कर रही है। इसके कारण ट्रांसपोर्ट और उनसे जुड़े उद्योगों को करीब 3,000 करोड़ का रोजाना का नुकसान हो रहा है। गौरतलब है कि देशभर के ट्रांसपोर्टर्स पर एआईएएमटीसी की ज्यादा पकड़ मानी जाची है और उसने 20 जुलाई से हड़ताल की घोषणा की है। जीएसटी लागू किए जाने के बाद से ही ट्रांसपोर्टर्स और सरकार के बीच तकरार चल रही है लेकिन एकजुट हड़ताल न हो पाने की वजह से सरकार पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है।