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सरकारी कर्मचारियों पर हरियाणा सरकार हुई मेहरबान, 25 लाख रुपये तक ले सकेंगे ऋण—जानें पूरी रिपोर्ट

चण्डीगढ़,
हरियाणा सरकार ने सातवें केन्द्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर अपने कर्मचारियों के लिए भवन निर्माण ऋण (एचबीए), विवाह ऋण, वाहन ऋण और कम्प्यूटर ऋण जैसे विभिन्न प्रकार के ऋणों की राशि में भारी बढ़ोतरी की है।

वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि अब कर्मचारी मकान के निर्माण या सरकारी एजेंसी या किसी अन्य पंजीकृत सोसायटी या निजी स्रोत के माध्यम से आबंटित या निर्मित मकान की खरीद के लिए अपने 34 महीनों का मूल वेतन या अधिकतम 25 लाख रुपये, जो भी कम हो, ऋण के रूप में लेने के पात्र होंगे, जबकि पहले कर्मचारियों को 40 महीने का मूल वेतन या अधिकतम 15 लाख रुपये ऋण के रूप में दिये जाते थे। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार अब कर्मचारी दूसरी बार एचबीए लेने के पात्र नहीं होंगे।

उन्होंने बताया कि प्लाट की खरीद के लिए कर्मचारी भवन निर्माण ऋण की कुल स्वीकार्य राशि का 60 प्रतिशत अर्थात 20 महीने का मूल वेतन या अधिकतम 15 लाख रुपये और उसी प्लाट पर मकान के निर्माण के लिए अधिकतम 10 लाख रुपये का ऋण ले सकते हैं जबकि पहले कर्मचारियों को प्लाट की खरीद के लिए नौ लाख रुपये का ऋण मिलता था।

इसीप्रकार, मकान के विस्तार और मकान की मरम्मत के लिए दस मास के मूल वेतन के बराबर राशि या अधिकतम पांच लाख रुपये का ऋण दिया जाएगा। जिन कर्मचारियों ने सरकार से एचबीए नहीं लिया है वे मकान की खरीद या कब्जा लेने की तिथि से तीन वर्ष की अवधि के बाद मकान के विस्तार के लिए और पांच वर्ष के बाद मकान की मरम्मत के लिए ऋण लेने के लिए पात्र होंगे। इसी प्रकार, जिन कर्मचारियों ने सरकार से एचबीए लिया है वे ऋण की वसूली शुरू होने के पांच वर्ष के बाद मकान के विस्तार के लिए और सात वर्ष के बाद मकान की मरम्मत के लिए ऋण लेने के पात्र होंगे। इससे पूर्व कर्मचारी मकान के विस्तार के लिए 12 मास का मूल वेतन या अधिकतम 3.50 लाख रुपये और मकान की मरम्मत के लिए 10 मास का मूल वेतन या अधिकतम तीन लाख रुपये का ऋण लेने के लिए पात्र थे।

वित्त मंत्री ने बताया कि अब कर्मचारी अपने पुत्र,पुत्री, आश्रित बहनों या स्वयं के विवाह के लिए अपने 10 मास का मूल वेतन या अधिकतम तीन लाख रुपये, जो भी कम हो, विवाह ऋण के रूप में लेने के पात्र होंगे जबकि पहले कर्मचारियों को दस मास का मूल वेतन या अधिकतम 1.25 लाख रुपये का विवाह ऋण दिया जाता था। अब विवाह ऋण केवल दो बार दिया जाएगा।

वाहन ऋण के तहत 45,000 रुपये या इससे अधिक का संशोधित वेतन प्राप्त करने वाले सरकारी कर्मचारी मोटर कार ऋण लेने के पात्र होंगे जबकि पहले 18,000 रुपये या इससे अधिक का संशोधित वेतन प्राप्त करने वाले सरकारी कर्मचारी मोटर कार ऋण लेने के पात्र थे। कर्मचारियों को मोटर कार ऋण के लिए 15 मास का मूल वेतन, अधिकतम 6.50 लाख रुपये अथवा मोटर कार के वास्तविक मूल्य का 85 प्रतिशत, जो भी कम हो, दिया जाएगा। पहली बार मोटर कार ऋण पर जीपीएफ के ब्याज के बराबर ब्याज दर लगाई जाएगी और दूसरी बार ब्याज में दो प्रतिशत और तीसरी बार चार प्रतिशत की वृद्घि की जाएगी।

मोटरसाइकिल या स्कूटर ऋण केवल नया मोटरसाइकिल या स्कूटर खरीदने पर ही दिया जाएगा। कर्मचारी मोटरसाइकिल के लिए 50,000 रुपये और स्कूटर के लिए 40,000 रुपये या वाहन का वास्तविक मूल्य, जो भी कम हो, के बराबर ऋण ले सकेेंगे। पहली बार मोटरसाइकिल या स्कूटर ऋण पर जीपीएफ के ब्याज के बराबर ब्याज दर लगाई जाएगी और दूसरी बार ब्याज में दो प्रतिशत और तीसरी बार चार प्रतिशत की वृद्घि की जाएगी। पहले कर्मचारियों को 45,000 रुपये या वाहन के वास्तविक मूल्य के बराबर ऋण मिलता था। इसीप्रकार, केवल नई साइकिल की खरीद के लिए 4,000 रुपये या साइकिल के वास्तविक मूल्य, जो भी कम हो, के बराबर ऋण मिलेगा जबकि पहले कर्मचारियों को 2500 रुपये या वास्तविक मूल्य के बराबर ऋण मिलता था।

कम्प्यूटर या लैपटाप की खरीद के लिए कर्मचारी 50,000 रुपये या वास्तविक मूल्य के बराबर ऋण ले सकेंगे। पहले कम्प्यूटर ऋण के भुगतान और बेबाकी प्रमाणपत्र प्राप्त करने के बाद ही दूसरी और तीसरी बार कम्प्यूटर ऋण लेने की अनुमति दी जाएगी।

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