भुवनेश्वर,
ओडिशा के पुरी में चक्रवाती तूफान ‘फोनी’ ने दस्तक दे दी है। पुरी में लैंडफॉल के बाद तेज बारिश के साथ 240 से 245 किमी/घंटे की रफ्तार से हवा चल रही हैं। इस चक्रवात के बारे में जो बात जानकारों को सबसे ज्यादा हैरान कर रही है, वह इसकी टाइमिंग है। जानकारों का कहना है कि इस तरह का चक्रवाती तूफान आम तौर पर मॉनसून के बाद आता है, लेकिन इस समय इसका दस्तक देना चौंकाने वाला है।
क्या बताया मौसम विभाग ने
हैदराबाद स्थित मौसम विभाग के अनुसार पुरी में इस समय हवा की अधिकतम रफ्तार 240 किमी प्रति घंटा से 245 किमी प्रति घंटा के बीच है। साथ ही पूरे ओडिशा तट पर भारी बारिश हो रही है। फोनी के पूरी तरह से टकराने के बाद इसका असर कम होगा और यह पश्चिम बंगाल के तटीय इलाकों की ओर जाएगा। फोनी के गुजरने के बाद राहत और बचाव कार्य के लिए विशाखापत्तनम में नौसेना के 13 विमानों को अलर्ट पर रखा गया है।
Odisha: Heavy rainfall and strong winds hit Ganjam as #FANI cyclone hits Puri coast with wind speed of above 175km/per hour. pic.twitter.com/30jdhND8L7
— ANI (@ANI) May 3, 2019
आंध्र में भी असर
ओडिशा में फोनी चक्रवात के पहुंचने का असर आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों पर भी दिख रहा है। यहां के विशाखापत्तनम में समुद्र तट पर तेज हवाएं चल रही हैं। साथ ही ऊंची समुद्री लहरें भी उठ रही हैं। फोनी तूफान के गुजरने के बाद के हालात से निपटने के लिए भारतीय तटरक्षक बल (कोस्ट गार्ड) ने राहत और बचाव की 34 टीमों को तैनात कर दिया है। ये टीमें विजाग, चेन्नई, पाराडिप, गोपालपुर, हल्दिया, फ्रेजरगंज और कोलकाता में तैनात की गई हैं। वहीं विजाग और चेन्नई में कोस्ट गार्ड की चार नावों को भी तैनात किया गया है।
टाइमिंग ने चौंकाया
मौसम विज्ञान से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि गर्मियों में ऐसे चक्रवाती तूफान बेहद कम आते हैं, आम तौर पर मॉनसून के बाद सितंबर-नवंबर में ऐसे तूफान आते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1965 से 2017 तक बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में 46 भयानक चक्रवात दर्ज किए गए हैं। इनमें से अक्टूबर से दिंसबर के बीच 28 चक्रवात आए, 7 चक्रवात मई में और महज दो चक्रवात अप्रैल (1966, 1976) में आए। 1976 के बाद फोनी पहला ऐसा तूफान है, जिसका निर्माण अप्रैल में शुरू हुआ।
चौथा सबसे खतरनाक चक्रवात
पिछले तीन दशकों में पूर्वी तटों से टकराने वाला यह चौथा सबसे खतरनाक चक्रवात है। ओडिशा ने इससे पहले जिन भयानक चक्रवाती तूफानों का सामना किया है, वे साल 1893, 1914, 1917, 1982 और 1989 में आए थे। ये तूफान या तो यहां खत्म हो गए थे या फिर पश्चिम बंगाल के तटों की तरफ चले गए थे। जानकारों का कहना है कि ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण हमें भविष्य में भी इस तरह की स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।
जितनी धीमी शुरुआत, उतना खतरनाक चक्रवात
जानकारों का कहना है कि चक्रवात की शुरुआत जितनी धीमी होती है, उसका प्रभाव उतना ही खतरनाक होता है। इसके पीछे कारण यह है कि धीमा होने के कारण चक्रवात को नमी और ऊर्जा को एकत्रित करने का समय मिल जाता है और लैंडफॉल के बाद यह और भी खतरनाक हो जाता है।