धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से— 596

एक संत के पास 30 सेवक रहते थे एक सेवक ने गुरुजी के आगे अरदास की कि उसकी बहन की शादी है। एक महीने बाद उसे करीब दस दिन के लिए घर जाना होगा। सेवक ने प्रार्थना की कि गुरु अगर आप चलें तो कृपा होगी। गुरु जी ने कहा बेटा, यह तो समय बताएगा कि मैं जा पाउंगा या नहीं। सेवक बीच-बीच में इशारे में गुरु जी को बहन की शादी याद दिलाता रहा। ऐसे ही समय बीत गया और शादी का समय नजदीक आ गया।

सेवक जाने लगा तो गुरु जी ने उसे 5 किलो अनार दिए और कहा बेटा ले जा, भगवान तेरी बहन की शादी खूब धूमधाम से करें। दुनिया याद करे ऐसी शादी तो हमने कभी देखी ही नहीं और साथ में दो सेवक भेज दिए। कहा कि बहन की शादी में तन-मन से सेवा करना और काम निपटाकर आ जाना। सेवक अपने साथियों संग वहां चल दिया। रास्तें भर वे निराश रहा और साथियों से बोला कि गुरु जी को पता था कि मेरी बहन की शादी है, फिर भी उन्होंने कोई खास मदद नहीं की। दो-तीन दिन के बाद सेवक अपने घर पहुंच गया। उसका घर राजस्थान के रेतीले इलाके में था। वहां कोई फसल नहीं होती थी।

वहां के राजा की लड़की बीमार थी। वैद्य ने बताया इस लड़की को अनार के साथ यह दवाई दी जाएगी तो यह लड़की ठीक हो जाएगी। राजा ने मुनादी करवा रखी थी अगर किसी के पास आनार है तो राजमहल लेकर पहुंच जाए। यह मुनादी सुनकर सेवक उस मुनादी वाले के पास गए और अनार होने की बात कही। मुनादी वाले सैनिक सेवक को लेकर महल गए और अनार के जूस के साथ राजकुमारी को दवाई का सेवन कराया। इस पर वह बिल्कुल स्वास्थ हो गई। राजा ने सेवक से उसके बारे में पूछा तो उसने सारा हाल कह सुनाया। उनकी बात सुनकर राजा बोला, तुम्हारी बहन की शादी मैं करूंगा।

राजा ने आदेश दिया कि सेवक की बहन की शादी ऐसा होनी चाहिए जैसे राजकुमारी की शादी हो। ऐसा ही हुआ लोग कह उठे कि ऐसी शादी नहीं देखी, सब बारातियों को सोने-चांदी के गहने उपहार दिए गए। बरात की सेवा बहुत अच्छी हुई लड़की को बहुत सारा धन दिया गया लड़की के मां-बाप को बहुत ही जमीन जायदाद आलीशान मकान बहुत ही पैसे रुपए दिए गए। लड़की भी राजी खुशी विदा होकर चली गई। अब सेवक सोचने लगा कि गुरु की महिमा भी गुरु ही जानें। हम गुरु जी के बारे न जाने क्या-क्या सोच रहे थे। गुरु जी के वचन थे जा बेटा तेरी बहन की शादी ऐसी होगी, दुनिया देखेगी।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, संतों के वचन के अंदर ताकत होती है, लेकिन हम नहीं समझते। जो भी वह वचन निकालते हैं, वह सिद्ध हो जाता है। हमें संतों के वचनों के ऊपर अमल करना चाहिए और विश्वास करना चाहिए। न जाने संत मौज में आकर क्या दे दे, रंक से राजा बना दे।

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