हिसार
हांसी स्थित राजकीय पशु चिकित्सालय के प्रांगण में 11 दिवसीय डेयरी प्रशिक्षण शिविर का आज समापन हुआ। इसमें 46 बेरोजगार युवक-युवतियों को डेयरी प्रबंधन, उत्पादन, पशु नस्ल सुधार, टीकाकरण एवं रोगों से बचाव के उपाय पशुपालन विभाग द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं व डेयरी व्यवसाय से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से जानकारी दी गई।
पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ. डीएस सिंधू ने डेयरी पालन को एक व्यवसाय के तौर पर अपनाने व सरकार द्वारा इस व्यवसाय के लिए दी जाने वाली सहायता के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि डेयरी व्यवसाय में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि इसमें बेरोजगार युवक-युवतियां अपने सीमित साधनों के साथ 3 से 50 दुधारू पशुओं की डेयरी खोलकर अपना स्वयं का रोजगार स्थापित कर कर सकते हैं। सरकार द्वारा इस कार्य के लिये ब्याज मुक्त ऋण बैंको से उपलब्ध कराती है क्योंकि खेती के साथ पशुपालन का कार्य शुरु करके अपने रोजगार के माध्यम से अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। दूध के साथ-साथ दूध से बनने वाले पदार्थ जैसे घी, दही, पनीर एवं खोया इत्यादि बना कर अपना स्वयं का रोजगार व आमदनी ले सकते हैं। इसके लिये भी सरकार द्वारा प्रोसेसिंग यूनिट लगाने हेतु ऋण की सुविधा दी जा रही है।
उन्होंने कहा कि डेयरी व्यवसाय को कैसे मुनाफे वाला बनाया जाए इसके लिए पशुओं के स्वास्थ्य, रख-रखाव व कम लागत पर अधिक उत्पादन पर ध्यान देना होगा। डेयरी पशुओं को साल में दो बार मुंह-खुर व गलघोटू का टीकाकरण, हर छठे महीने पेट के कीड़ों की दवा व नियमित खनिज-लवण की मात्रा देनी चाहिए ताकि पशु किसी बीमारी की चपेट में न आएं व उनका स्वास्थ्य भी अच्छा बना रहे।
उन्होंने पशुपालकों को बताया कि नियमित खनिज-लवण से डेयरी पशुओं में जरूरी तत्वों की कमी पूरी करके रोग-प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। इससे पशु स्वस्थ व निरोग रहता है। उन्होंने परिक्षार्थियों को गाय व भैंस की नस्ल सुधार कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि देशी गाय में साहिवाल व भैंस में मुर्रा नस्ल के पशु पालकर नस्ल सुधार से अधिक दूध पैदा कर मुनाफा ले सकते हैं। इसके अतिरिक्त अपने दुधारू गाय एवं भैंस को उच्च कोटी के सीमन से गर्भित करवाएं ताकि नस्ल सुधार के साथ-साथ दूध का भी उत्पादन बढ़े। गायों को सेक्सड सीमन से गर्भित करवाएं ताकि बछड़ी ही पैदा हो।
उपनिदेशक ने बताया कि हांसी प्रथम एवं द्वितीय ब्लॉक के बेरोजगार युवक-युवतियों को यह प्रशिक्षण दिया गया। इसी प्रकार हिसार, नारनौंद व बरवाला उपमंडल में भी दो-दो प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। शिविर में डॉ. सुधीर मलिक, डॉ. प्रदीप चौधरी, उपमंडल अधिकारी डॉ. राजपाल मलिक एवं डॉ. राजकुमार बेनिवाल ने पशुपालन के अलग-अलग विषयों पर प्रशिक्षण दिया।
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