हिसार

जन्म से पहले ही हो जाती महिलाओं के साथ भेदभाव की शुरुआत : डा. प्रियंका सोनी

लैंगिक समानता के लिए आत्मबोध का होना आवश्यक : प्रो. टंकेश्वर कुमार

गुजविप्रौवि हिसार में महिला दिवस के उपलक्ष्य में हुआ सेमीनार

हिसार,
हिसार की उपायुक्त डा. प्रियंका सोनी ने कहा है कि महिलाओं के साथ भेदभाव की शुरुआत उनके जन्म से पहले ही हो जाती है। हर महिला के लिए समानता के मापदण्ड भी अलग-अलग हैं। महिला और पुरुष दोनों को समानता और एक दूसरे के लिए कार्य करना चाहिए। डा. प्रियंका सोनी गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य पर हुए सेमीनार को बतौर मुख्य अतिथि व मुख्य वक्ता सम्बोधित कर रही थी। अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने की। पंजाब विश्वविद्यालय, चण्डीगढ़ के प्रो. राजेश गिल आमंत्रित वक्ता व विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. हरभजन बंसल विशिष्ट अतिथि थे। दैनिक जागरण पंजाब के रेजिडेंट एडिटर अमित शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता किरण सिब्बल, डीन ऑफ कॉलेजिज प्रो. संदीप राणा तथा विश्वविद्यालय के महिला सैल की अध्यक्षा प्रो. स्नहेलता गोयल सेमीनार में विशेष चर्चा स्तर में विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित रहे।
उपायुक्त प्रियंका सोनी ने कहा कि महिलाओं की समस्या का हल भी महिलाओं के पास ही है। उन्होंने कहा कि महिलाएं अपने बच्चों में ऐसे संस्कार पैदा करें कि वो आगे चलकर महिलाओं का सम्मान करें। उन्होंने कहा कि महिलाओं को निर्णय लेने का अधिकार देना होगा। इसकी शुरुआत भी घर से ही की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सृष्टि स्त्री से चलती है, क्योंकि वो इसे चला सकती है और वो इसे चला रही है। स्त्री सृष्टि को चलाना भी चाहती है। इसलिए महिलाओं का सम्मान व सहयोग करने का आह्वान किया। डा. प्रियंका सोनी ने विशेष चर्चा सत्र में कहा कि प्रशासन महिलाओं को सशक्त करने के लिए सरकार द्वारा निर्धारित की गई योजनाओं व नीतियों पर लगातार काम करता है। महिलाओं को स्वास्थ्य, शिक्षा व सुरक्षा के प्रति जागरुक किया जा रहा है। लड़कियों को स्वावलम्बी बनाने के लिए कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि तमाम प्रयासों के बावजूद अभी पर्दा प्रथा और दहेज प्रथा को समाप्त करने में अपेक्षित परिणाम नहीं मिले हैं।
कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने अपने सम्बोधन में कहा कि लैंगिक समानता के लिए आत्मबोध का होना आवश्यक है। आत्मबोध होने पर ही व्यक्ति दूसरों की समस्या व जरूरतों के बारे में जान पाता है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के अधिकारों को समझने व जानने का प्रयास करें। कोई भी राष्ट्र महिलाओं को बराबर की भागीदारी दिए बिना विकास नहीं कर सकता। प्रो. टंकेश्वर कुमार ने विश्वविद्यालय में महिला विकास के लिए चलाई गई विशेष योजनाओं और नीतियों का जिक्र किया और कहा कि इस विश्वविद्यालय की महिला विकास की नीतियों को पूरे देश में सराहा व अपनाया गया है।
कुलसचिव प्रो. हरभजन बंसल ने कहा कि भारत में महिलाओं के सम्मान की समृद्ध परम्परा है। लेकिन बीच में कुछ ऐसा समय आया जिसके कारण महिला सम्मान प्रभावित हुआ। उन्होंने कहा कि महिलाओं को एक सीमा तक तो मौके दिए जाते हैं, लेकिन उससे आगे उन्हें नहीं बढ़ने दिया जाता। हमें महिलाओं की इस बाधा को दूर करना होगा।
प्रो. राजेश गिल ने अपने सम्बोधन में कहा कि वैश्विक लैंगिक समानता की अगर हम बात करें तो सतह की सच्चाई कुछ और है। दुनिया की 50 प्रतिशत आबादी को विकास को गति देने के लिए पर्याप्त मौके नहीं दिए जा रहे। महिलाओं के पास खुद के निर्णय लेने का अधिकार भी नहीं है। उन्होंने कहा कि राजनीति, सामाजिक व आर्थिक स्तर पर महिलाओं की बराबरी सुनिश्चित करने में 95 से 250 साल लगने की सम्भावना है। महिलाएं ज्यादातर वो काम करती हैं जिसके लिए उन्हें पैसा नहीं मिलता। बाल विवाह जैसी बुराईयां भी अभी खत्म नहीं हुई हैं। उन्होंने कहा कि केवल कानून और सरकार कुछ नहीं कर सकते। महिलाओं को अपने स्तर पर अपनी स्थिति सुधारने के कदम बढ़ाने होंगे। प्रो. राजेश गिल ने विशेष चर्चा सत्र के दौरान कहा कि औरत गलती करने से डरती है। इसलिए जीवन में कुछ सीख नहीं पाती। औरत को गलती करने से डरना नहीं है। डा. प्रज्ञा कौशिक ने कहा कि आज औरत हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रही है। उसके काम को सम्मान देने की जरूरत है।
स्वागत सम्बोधन प्रो. स्नेहलता गोयल ने किया। उन्होंने महिला दिवस व महिला दिवस की इस वर्ष की थीम के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने महिलाओं की प्रगति व सशक्तिकरण के बारे में भी जानकारी दी। महिला दिवस के उपलक्ष्य पर विश्वविद्यालय के खाद्य तकनीकी विभाग के सौजन्य से स्लोगन व पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया। स्लोगन प्रतियोगिता में सुमित बंसल ने पहला, पिंकी ने दूसरा व मिनाल ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता में निष्ठा, श्रेष्ठा व अंकित पहले, दूसरे व तीसरे स्थान पर रहे। विजेताओं को इस अवसर पर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर खाद्य तकनीकी विभाग की अध्यक्षा प्रो. अलका शर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया तथा डा. अन्नु गुप्ता ने मंच संचालन किया।
दूसरे सत्र में हुई समूह वार्ता में उपायुक्त डा. प्रियंका सोनी, प्रो. राजेश गिल के अतिरिक्त दैनिक जागरण पंजाब के रेजिडेंट एडिटर अमित शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता किरण सिब्बल, डीन ऑफ कॉलेजिज प्रो. संदीप राणा तथा विश्वविद्यालय के महिला सैल की अध्यक्षा प्रो. स्नहेलता गोयल विषय विशेषज्ञ के रूप में मंच पर उपस्थित रहे। संचालन डा. प्रज्ञा कौशिक ने किया।
प्रो. संदीप राणा ने कहा कि सोच में बदलाव से ही समाधान सम्भव है। उन्होंने कहा कि निर्णय लेने में महिलाओं की भागीदारी बढ़ानी होगी। उन्हें पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक स्तर पर अपने निर्णय खुद लेने होंगे। महिलाओं को सशक्त करने की बजाय उनके कार्य को सम्मान देने की जरुरत है।
किरण सिब्बल ने अपने सम्बोधन में स्वयं के अनुभवों के बारे में बताया तथा कहा कि आत्मविश्वास और मेहनत के साथ कार्य किया जाए तो परिस्थितियां बाधा नहीं बनती। किसी भी उम्र में आगे बढ़ने के लिए कार्य आरम्भ किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमें ऐसा वातावरण स्थापित करना होगा जिससे महिलाएं अपने आप को सुरक्षित महसूस कर सकें। उन्हें जिन्दगी और उनकी अस्मिता का भय ना हो। महिलाओं को इसके लिए खुद आगे आना होगा।
अमित शर्मा ने महिलाओं से सम्बंधित मीडिया के अनुभवों को सांझा किया। उन्होंने स्वीकार किया कि मीडिया में काम करने वालों में भी महिलाओं की भागीदारी पर्याप्त नहीं है। उन्होंने अनचाहे लैकिंग भेदभाव के मुद्दे को उठाया तथा इसके बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि महिलाओं को नारों की नहीं, बल्कि अधिकारों की जरुरत है।

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