साहित्य

आनंद ‘परम’- ममता का उपवास…

लो मां..मुंह खोलो..मुंह मीठा करो..गोपाल ने मां के मुंह की तरफ बर्फी का टुकड़ा बढाते हुए कहा..
नही रे..आज मैं मीठा नही खा सकती तू तो जानता ही है..आज मेरा उपवास है..
मगर मां..आज ना तो मंगलवार है और ना ही शुक्रवार फिर किस बात का उपवास..
हर बार बताती हूं तुझे तू हर बार भूल जाता है आज मेरा मेरे बच्चों के लिए उपवास है तुम्हारी समृद्धि और खुशहाली के लिए उपवास है..पगले..तू हर बार क्यूं मेरा ये उपवास तुडवाने का प्रयास करता है..यह कहकर मां ने मेरे हाथ से बर्फी का वह डिब्बा ले लिया और एक बर्फी मुझे और एक बर्फी सुलेखा को खिलाकर बाकी बची बर्फियों का डिब्बा लेकर पार्क की तरफ चल दी..जहां उसे कई अन्य मुहबोले गोपाल जैसे बेटों की मां का फर्ज निभाना था..
ये क्या चक्कर है आप मां बेटे का पिछली बार भी मैने देखा था आप ऐसे ही बर्फी का डिब्बा लेकर आए थे और इसी तरह मां जी ने अपने उपवास की बात कहकर खाने से मना कर दिया था..सुलेखा ने गोपाल से पूछा..
पुराने दिनों को याद करते करते गोपाल ने सुलेखा को बताया जब मैं तीसरी कक्षा में पढता था उस दिन मदर्स डे था उस दिन सभी बच्चे कक्षा में मिठाई लेकर आए थे और सबने मिलकर वो मिठाई मिल बांटकर खा ली मुझे किसी ने मिठाई नही खिलाई क्योंकि मैं घर से मिठाई नही लाया था इसलिए किसी ने मुझे मिठाई नही दी मै घर आकर रोया तो मां ने मुझसे रोने का कारण पूछा जब मैने स्कूल की बात उन्हें बताई तो उनकी आंख भर आई घर की हालात अच्छी नही थी मां घरों में झाडू पोछा करके मेरा और अपना पेट पालती थी ( पिताजी की शक्ल भी मुझे देखी हुई याद ना थी एक दुर्घटना में वो दुनिया छोड़कर जा चुके थे ) उस दिन मां ने कुछ नही खाया वो बेबस बस मुझे गोद में सुलाकर रात भर रोती रही उस दिन से आजतक मां इस मदर्स डे को भूली नही है समय के साथ साथ हमारी स्थिति में सुधार होता रहा लेकिन मां आज भी बीस वर्ष पहले से शुरू हुए उपवास को निभा रही है अपने आप को भूखा रखकर मां मुझे मदर्स डे मनाने का मौका देती रहती है..यह कहकर गोपाल चुप हो गया और अपनी नम आंखों को पौंछने लगा..
सुलेखा की आंखें भी गोपाल की बातें सुनकर नम हो चुकी थी उसका मन मां जी के उपवास का राज जानकर असीम श्रद्धा से भर चुका था वह भी गोपाल और मां जी जैसी ममता से भरा मदर्स डे का उपवास करने चाहती थी गोपाल ने उसके ममता से भरे मनोभावों को पढा और उसे बाहों में समेटते हुए प्यार से कहा..

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