हिसार

डीए व एलटीसी पर रोक और विभागों के निजीकरण के खिलाफ कर्मचारियों ने किया हल्ला बोल प्रदर्शन

हिसार,
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के आह्वान पर सभी विभागों पशुपालन, बिजली, नगर निगम, पब्लिक हेल्थ, बीएंडआर, सिंचाई विभाग, हुडा व शिक्षा विभाग में कर्मचारियों ने महंगाई भत्ते को बंद करने, एलटीसी पर रोक लगाने, सरकारी विभागों में निजीकरण व ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा देने, ट्रेड यूनियन अधिकारों में बदलाव करने, श्रम कानूनों को पूंजीपतियों के अनुरूप बनाने और कच्चे कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के विरोध में हल्ला बोल प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारी कर्मचारियों को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि मौजूदा समय में केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के महंगाई भत्ता, यात्रा भत्ता, एलटीसी, नई भर्ती व अन्य भत्तो पर रोक लगाकर कर्मचारियों का शोषण किया है। विभाग में हजारों की सख्या मे पद खाली पड़े हैं। केंद्र सरकार श्रम कानूनों में सुधार करके कर्मचारी व मजदूर वर्ग का शोषण कर रही है। ट्रेड यूनियन एक्ट को पूंजीपतियों के हक में खत्म किया जा रहा है। काम के घंटे 8 से बढाकर 12 करने का प्रयास किया जा रहा है। रेलवे, विमान, बिजली, एलआईसी, रक्षा, स्वास्थय, पेट्रोलियम, भारत की नवरत्न कंपनियों को कौडिय़ों के भाव में प्राइवेट कंपनियों को सौंपा जा रहा है जिससे देश की आर्थिक व्यवस्था चरमरा जाएगी।
कर्मचारी नेताओं ने कहा कि सरकार द्वारा अपने चहेते पूंजी पतियों को टैक्सों में भारी छूट दी जा रही है लोन माफ किए जा रहे हैं, जबकि सरकार द्वारा कर्मचारी वर्ग पर आर्थिक कटौती की जा रही है और गरीब आदमी के ऊपर अन्य टैक्स लगाकर और ज्यादा मार डाली जा रही है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी में तमाम प्रदेश के देश के कर्मचारियों ने अपनी जान की परवाह ना करते हुए आगे बढ़कर काम किया है। उस काम के बदले मौजूदा केंद्र सरकार और राज्य सरकार कर्मचारियों, मजदूरों का शोषण करने पर तुली हुई है।
उन्होंने कहा कि सर्व कर्मचारी संघ की मांग है कि केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा बढ़ाए गए काम के घंटों, श्रम कानूनों में पूंजीपतियों के हक में किए गए बदलावों व श्रम कानूनों को निरस्त करने के निर्णय वापस लिए जाएं, सभी प्रवासी व स्थानीय मजदूरों तथा जरूरतमंद परिवारों को रोजगार बहाल होने तक बिश्रा किसी शर्त के फ्री सूखा राशन उपलब्ध करवाया जाए, संगठित व असंगठित क्षेत्र में कार्यरत मजदूरों व उनके परिवार को रोजगार बहाली तक बिना किसी शर्त के 7500 रुपए नगद राशि का भुगतान किया जाए, कर्मचारियों व पैंशनर्स के डीए व एलटीसी तथा सरकारी नौकरियों की भर्ती पर लगाई गई रोक वापस ली जाए, हटाए गए कच्चे कर्मचारियों को वापस ड्यूटी पर लिया जाए, विनिवेश के नाम पर सार्वजनिक क्षेत्र को बेचने के निर्णय वापस लिए जाएं, पुरानी पैंशन स्कीम बहाल की जाए, ठेका प्रथा को खत्म कर ठेकाकर्मियों को सरकार द्वारा अपने रोल पर लिया जाए, उपभोक्ता व कर्मचारी विरोधी बिजली निजीकरण संबंधी बिजली संशोधन बिल 2020 वापस लिया जाए और मनरेगा में 100 दिन काम की सीमा को खत्म किया जाए व पर्याप्त काम तुरंत प्रभाव से शुरू किया जाए आदि मांगें शामिल हैं।
प्रदर्शनकारी कर्मचारियों को छबीलदास मौलिया, नरेश गौतम, अशोक सैनी, सुरेंद्रमान, राजेश बागड़ी, सुनील कांगड़ा, रणबीर रावत, बिशन सिंह, रमेश शर्मा, मास्टर विनोद कुमार, रामभगत, प्रदीप कुमार, रमेश आहूजा, अभयराम फौजी, दीनानाथ, भाग सिंह, सत्यवान, सुभाष गुर्जर, मनुज बामनिया, अरूण यादव, ओमप्रकाश माल, ईश्वर पुनिया, जगमिंदर पुनिया, ओमप्रकाश वर्मा, रमेश सातरोड़, दिलबाग जागड़ा व रणबीर फौजी आदि ने भी संबोधित किया।

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