हिसार

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद आमजन के लिए सरकार फ्री करे कोरोना कोविड टेस्ट : एडवोकेट जेएस मल्ही

हिसार,
कोरोना के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि जिन निजी अस्पतालों को फ्री या रियायती दरों पर सरकार से अस्पताल के लिए जमीनें मिली है ऐसे अस्पताल गरीबों व जरूरतमन्दों का फ्री कोरोना टेस्ट करें।
जिला बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान सीनियर एडवोकेट जेएस मल्ही, एडवोकेट प्रदीप श्योराण, एडवोकेट सेठी बिश्नोई व एडवोकेट बजरंग इंदल ने भी सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि देश में कोरोना कोविड के मामले तेजी से बढ़ कर 1.50 लाख से ज़्यादा हो चुके है। अब बड़े पैमाने पर कोरोना टेस्ट की जरूरत होगी। आमजन सरकार द्वारा निर्धारित 4500 रुपये के कोरोना टेस्ट को वहन करने में असक्षम है। आए दिन गरीब व मजदूर वर्गों के बड़े पैमाने पर सड़कों व रेल यात्रा में मौत की खबरें आ रही है। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट में लॉकडाउन के चलते गरीबों की रोजी-रोटी छिन्न चुकी है। मजबूरी में सड़कों पर पैदल चल रहे मजदूर मौत के मुंह में जा रहे है। देश की बड़ी आबादी कोरोना और लॉकडाउन के कारण बुरी तरह प्रभावित है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी सरकार की नाकामियों को उजागर कर रही है। इसलिए सरकार को भी चाहिए कि वह सुप्रीम कोर्ट की कोरोना टेस्ट पर की गई इस टिप्पणी को गम्भीरता से ले। एडवोकेट जेएस मल्हि ने कहा कि सरकार का सबसे बड़ा दायित्व अपने देश के हर नागरिक को रोटी,कपड़ा,मकान,शिक्षा व स्वास्थ्य प्रदान करने का है। सरकार की गलत नीतियों और अब कोरोना कोविड की वजह से अर्थव्यवस्था की कमर टूट चुकी है। वहीं निजी अस्पताल विपदा की इस घड़ी में अब भी गरीबों के लिए पूरी तरह से बंद है। मोदी सरकार को चाहिए कि वह सबसे पहले गरीबों के लिए कोरोना टेस्ट सब जगह फ्री करें, ताकि ज्यादा से ज्यादा टेस्ट होने पर इस जानलेवा संक्रमणीय बीमारी की रोकथाम कर इसे कंट्रोल किया जा सके।

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