हिसार

किसान वर्ग के लिए नया कोरोना बनकर आ रहा टिड्डी दल

कीट विज्ञान विभाग ने किसानों को दिये टिड्डी दल से सुरक्षा बारे सुझाव

हिसार,
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग ने किसानों को टिड्डी दल से सुरक्षा बारे सुझाव देते हुए सतर्क रहने की सलाह दी है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना हैे कि टिड्डियां छोटे एंटिना वाली तथा प्रवासी आदत की होती हैं। ये टिड्डियां अकेले-अकेले या झुंड में रहती हैं तथा बहुभक्षी होती हैं। व्यस्क मादा टिड्डियां नमी युक्त रेतीली मिट्टियों में 10-15 सें.मी. की गहराई पर समूह में अंडे देती हैं। इन अंडों से शिशु टिड्डियां सामान्यता 2 सप्ताह में निकल आती हैं। इस अवस्था में ये टिड्डियां सामान्यता 6 सप्ताह तक रहती हैं तथा आसपास मौजूद वनस्पतियों को नष्ट कर देती हैं। शिशु टिड्डियों के पंख नहीं होते इसलिए ये उड़ नहीं सकती। व्यस्क अपरिपक्व टिड्डियां गुलाबी रंग की तथा इनके पंख निकल आते हैं, इसलिए ये दल या झुंड बनाकर उडऩे में सक्षम होती हैं। इस अवस्था में सामान्यता 4 सप्ताह तक रहती है। झुंड में टिड्डियां हजारों से लेकर लाखों की संख्या तक हो सकती है। ये झुंड दिन के समय 12 से 16 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 150 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकते हैं। झुंड रात के समय विभिन्न वनस्पतियों पर बैठ जाते हैं तथा अधिक से अधिक क्षति पहुंचाते हैं। इन टिड्डियों का रंग जब गहरा भूरा या पीला होने लगे तो ये परिपक्व व्यस्क बन जाती हैं जो अण्डे देने में सक्षम होती हैं। अंडे देने की स्थिति आने पर ये टिड्डियां 2-3 दिनों तक उड़ नहीं पाती।
फसलों में क्षति की दृष्टि से इन टिड्डियों की संख्या 10000 टिड्डियां प्रति हेक्टेयर या 5-6 टिड्डियां प्रति झाड़ी आंकी गई है। टिड्डियों की संख्या इससे अधिक होने पर कीटनाशक दवाइयों के छिडक़ाव की जरूरत पड़ती है। हमारे सीमावर्ती राज्य में इन टिड्डियों के झुंड पाये गये हैं तथा इनके नियंत्रण का कार्य लगातार किया जा रहा है। सीमावर्ती राज्य होने के नाते हरियाणा के किसान भाइयों (खासकर हिसार व सिरसा जिला के) को सतर्क रहने की आवश्यकता है।
कृषि वैज्ञानिकों ने सुझाव दिये हैं कि हमारे राज्य में टिड्डियों के झुंड के प्रवेश करने की संभावना कम है परन्तु सचेत रहकर आपसी सहयोग करें, टिड्डियों के झुंड के दिखाई देने पर ढोल या ड्रम बजाकर इन्हें फसलों पर बैठने से रोका जा सकता है, टिड्डियों की फसल में उपस्थिति या आसपास के इलाकों में प्रवेश की जानकारी नजदीकी कृषि विज्ञान केन्द्र या कृषि विभाग अधिकारी या कीट विज्ञान विभाग, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार को तुरन्त दी जाए, रेतीले टिब्बों/इलाकों में अगर टिड्डियों के झुंड (पीले रंग की टिड्डियां) जमीन पर बैठी दिखाई दे तो उस स्थान को चिन्हित कर तुरन्त सूचित करें, टिड्डियां अगर झुंड में न होकर अलग-2 हैं तथा इनकी संख्या कम है तो घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है, अनावश्यक कीटनाशकों का प्रयोग फसलों पर न करें, सोशल मीडिया पर टिड्डी दल के बारे में अनावश्यक खबरें न फैलायें।
कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि टिड्डी दल के नियंत्रण के लिए सिफारिश किए गए कीटनाशकों का प्रयोग करें। इसके तहत क्लोरपायरिफास 20 प्रतिशत ई.सी. 1.2 लीटर, क्लोरपायरिफास 50 प्रतिशत ई.सी. 480 मिली लीटर, मैलाथियान 50 प्रतिशत ई.सी. 1.85 लीटर, मैलाथियान 25 प्रतिशत डब्ल्यू पी. 3.7 किलो ग्राम, डैल्टामैथरिन 2.8 प्रतिशत ई.सी. 450 मिली लीटर, फिपरोनिल 5 प्रतिशत एस.सी. 125 मिली लीटर, फिपरोनिल 2.8 प्रतिशत ई.सी. 225 मिली लीटर, लैम्डा-साइहैलोथ्रीन 5 प्रतिशत ई.सी. 400 मिली लीटर, लैम्डा-साइहैलोथ्रीन 10 प्रतिशत डब्ल्यू पी. 200 ग्राम का प्रयोग करें।

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