हिसार

सरकार ने स्कूल की पलटी काया तो बदल गया परिणाम

भोडिय़ा बिश्नोईयान का निखिल जिले के सरकारी स्कूलों में रहा अव्वल

आदमपुर (अग्रवाल)
सरकारी स्कूल का नाम जहन में आते ही मन में जो भाव उभरता है वह टाट-पट्टी पर बैठे बच्चे, परिसर से लेकर कमरों तक में जमी धूल, जहां तहां बिखरा सामान। ऐसा माहौल व वातावरण कुछ साल पहले तक था, लेकिन अब नहीं। धीरे-धीरे हालात बदल रहे हैं। शैक्षणिक वातावरण के साथ इन स्कूल की काया बदलने लगी है और यह सब कुछ संभव हो रहा है कायाकल्प से। गांव के इन स्कूलों की सूरत कान्वैंट स्कूलों से कम नहीं दिखती। विश्वास नहीं होता तो आइए दिखाते हैं गांव भोडिय़ा बिश्नोईयान के सरकारी स्कूल की बदली हुई तस्वीर। स्कूल की सूरत बदलने के बाद विद्यालय का परीक्षा परिणाम भी बदल गया है। गांव के राजकीय उच्च विद्यालय के छात्र निखिल पूनिया ने 10वीं कक्षा में 97.4 अंक लेकर जिले के सरकारी स्कूलों में अव्वल रहा है। छात्र ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता और गुरुजनों को दिया है। बड़ा होकर निखिल अच्छा शिक्षक बनना चाहता है। शनिवार को ग्राम पंचायत व ग्रामीणों ने मेधावी छात्र निखिल को सम्मानित कर स्टाफ सदस्यों का स्वागत किया। गांव के सरपंच सुभाष टाडा, हैडमास्टर सुरेंद्र कुमार, मिडल हैड नरेंद्र कुमार व ग्रामीणों ने छात्र को मैडल पहनाया और गुलदस्ता भेंट किया। इस मौके पर हसला के राज्य उपप्रधान भगवान दत्त, एस.एम.सी. प्रधान शब्द सिंह, विनोद डेलू, सिद्धार्थ, सुशील सहाराण, महेंद्र पूनिया, रमेश जांगू, मुकेश, कृष्ण आदि मौजूद रहे।

3 करोड़ 80 लाख की लागत से बना भवन
गांव के सरकारी स्कूल की हालत कुछ साल पहले तक जर्जर थी आज यह विद्यालय अपनी बदली सूरत से दूसरों को प्रेरित कर रहा है। शानदार भवन, रंग रोगन, खुला वातावरण व पार्क युक्त यह विद्यालय कायाकल्प अभियान के तहत चमकाया गया है। गत वर्ष करीब 3 करोड़ 80 लाख रुपये की लागत से बने स्कूल का भवन प्रदेश के गिने-चुने भवनों में शुमार हुआ है। स्कूल के भवन को देखकर लगता नही की यह गांव का सरकारी स्कूल है। हैडमास्टर सुरेंद्र कुमार ने बताया कि साढ़े 5 दशक पहले 1965 में गांव में प्राइमरी स्कूल का निर्माण किया गया था। शिक्षा विभाग ने धीरे-धीरे स्कूल को 10वीं तक अपगे्रड किया। भवन पुराना व जर्जर हालत होने के कारण गत वर्ष नए भवन में कक्षाएं लगनी शुरू हुई। नए भवन में आने के बाद बच्चों में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ और इस बार स्कूल के 10वीं कक्षा के 33 बच्चों में से 6 ने बोर्ड मैरिट पाई। निखिल ने 500 में से 487 अंक हासिल किए और स्कूल का परीक्षा परिणाम 85 प्रतिशत रहा।

चौधरीवाली का रहा शत-प्रतिशत परिणाम
गांव के किसी सरकारी स्कूल का परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत रहना अपने आप में उपलब्धी है। गांव चौधरीवाली के राजकीय उच्च विद्यालय का परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत रहा है। स्कूल के पूर्व डी.डी.ओ. बलवीर सिंह ने बताया कि 33 बच्चों ने 10वीं की परीक्षा दी जिसमें सब अच्छे अंकों से पास हुए है। छात्रा मेघा जांगड़ा व शिक्षा बिश्नोई ने 96.2 प्रतिशत अंक हासिल किए और 23 बच्चों ने बोर्ड मैरिट में स्थान बनाया। 6 ने 75 प्रतिशत से अधिक तो 4 बच्चों ने 60 प्रतिशत से अधिक अंक लिए।

5 साल पहले थी स्टाफ की कमी
चौधरीवाली के सरकारी स्कूल में 5 साल पहले स्टाफ की भारी कमी थी। ग्राम पंचायत के सहयोग से स्कूल में स्टाफ की कमी को दूर किया गया। सरपंच सुग्रीव पंवार, पंचायत समिति चेयरपर्सन प्रतिनिधि महेंद्र भादू व ग्रामीणों ने लगातार कई सालों तक स्कूल में अपने खर्चे से स्टाफ को रखा और स्कूल की हर जरुरतों को पूरा किया। स्टाफ की कमी को पूरा करने के लिए ग्रामीणों ने अनेक बार धरना-प्रदर्शन भी किया। आखिर ग्रामीणों के साथ स्टाफ सदस्यों की मेहनत रंग लाई और 10वीं कक्षा के सभी 33 बच्चे उतीर्ण हुए है।

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