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खतरनाक : कुत्ते, भेड़ और लाेमड़ी को चपेट में लेने लगा एड्स, चीचड़ फैला रहे हैं पशुओं में एड्स

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अब एड्स ने भारत में कुत्ते, भेड़ और लाेमड़ी काे भी अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। यदि लक्षण दिखाई देने के बाद तीन दिन से ज्यादा पशु का उपचार नहीं कराया ताे उसकी जान भी जा सकती है। लुवास के परजीवी विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकाें ने कुछ पशुओं के सैंपलाें की जांच की ताे पाॅजिटिव पाए गए। वैज्ञानिकाें ने लंबी रिसर्च के बाद पाया है कि कुत्ते, भेड़ और लाेमड़ी में एड्स एर्लिचिया नामक परजीवी के कारण हाेता है। यह चीचड़ के कारण फैलता है।

भारत में कुत्ताें की कुल संख्या करीब 9 हजार लाख है। हरियाणा प्रदेश में भी करीब 19 लाख कुत्ते हैं। लुवास के परजीवी विज्ञान विभागाध्यक्ष डाॅ. सुखदीप वाेहरा और वैज्ञानिक डाॅ. अनिल कुमार नेहरा, डाॅ. स्नेहिल गुप्ता ने बताया कि अभी तक एड्स बीमारी विदेशी नस्ल के कुत्ताें में ही पाई जाती थी। भारत में कुत्ताें में एड्स नहीं फैल रहा था।

90 प्रतिशत पशुओं की माैत
रिसर्च में पाया गया कि एर्लिचिया केनिस नाम के परजीवी के कारण एड्स कुत्ते, भेड़ और लाेमड़ी काे अपनी चपेट में ले रहा है। यह चीचड़ के कारण हाेता है। पाया गया है कि समय पर यदि उपचार किया जाए ताे पशु काे बचाया भी जा सकता है। हालांकि बीमारी का पता नहीं लगने पर 90 प्रतिशत पशुओं की माैत भी हाे जाती है। लुवास के वैज्ञानिकाें ने निदान के सार्थक प्रयास भी शुरू कर दिए हैं। लुवास के कुलपति डाॅ. गुरदियाल सिंह ने भी कुत्ताें में एड्स की खाेज करने वाले वैज्ञानिकाें की सराहना की है। कहा कि सभी के अथक प्रयास से परजीवी का पता लगाया जा सका है।

आधा घंटे में आती है रिपोर्ट
डाॅ. सुखदीप वाेहरा, डाॅ. अनिल नेहरा बताते हैं कि कुत्ताेंं, लोमड़ी या भेड़ में एड्स का पता लगाने के लिए उनके खून का सैंपल लिया जाता है। सैंपल लेने के करीब आधा घंटे बाद ही रिपोर्ट आ जाती है। हालांकि बाद में पीसीआर मशीन से भी जांच की जाती है। पीसीआर मशीन से रिजल्ट आने में तीन से लेकर चार घंटे तक का समय लग जाता है। पीसीआर मशीन से हाेने वाली जांच के बाद ही पाॅजिटिव या निगेटिव घाेषित किया जाता है।

पशुओं में एड्स के मुख्य लक्षण
लुवास के जीव विज्ञान विभागाध्यक्ष डाॅ. सुखदीप वाेहरा बताते है कि एड्स पाॅजिटिव हाेने के बाद पशु कमजाेर हाेने लगता है। उसका शारीरिक विकास भी पूरी तरह से रुक जाता है। नाक से ब्लड बहने लगता है। पेट और अंडाशय में सूजन आ जाती है। आंखें भी लाल हाेती है।

बचाव के उपाय
पशु का चीचड़ से बचाव करना चाहिए, साफ-सफाई का भी उचित ध्यान रखें, डाेक्सीसाइक्लीन 5 से 10 मिलीग्राम तक दी जा सकती है। यदि लक्षण दिखाई दें ताे तुरंत ही नजदीकी पशु चिकित्सालय में पशु काे ले जाएं। लुवास के जीव विज्ञान विभाग में भी बीमारी काे लेकर सलाह ली जा सकती है।

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