धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से-214

जब भगवान विष्णु श्रीकृष्ण रूप में अवतार लेने वाले थे। देवकी और वसुदेव कंस की कैद में थे। कंस ने देवकी-वसुदेव की 6 संतानों का वध कर दिया था। सातवीं संतान के रूप में बलराम देवकी के गर्भ में आए तो भगवान विष्णु ने योगमाया से कहा था कि आप इस सातवीं संतान को देवकी के गर्भ से निकाल कर वसुदेव जी की दूसरी पत्नी रोहिणी के गर्भ में स्थापित कर दो। इसके बाद कंस को ये सूचना दी जाएगी कि सातवां गर्भ गिर गया है।

योगमाया ने ऐसा ही किया। इसके बाद जब आठवीं संतान के जन्म का समय आया तो भगवान ने योगमाया से कहा कि अब मेरे अवतार लेने का समय आ गया है। जब मेरे अवतार का जन्म होगा, ठीक उसी समय आप आप गोकुल में यशोदा के गर्भ से जन्म लेना। वसुदेव जी कंस के कारागर से निकालकर मुझे गोकुल पहुंचाएंगे और आपको लेकर कंस के कारागार में आ जाएंगे। जब कंस आठवीं संतान को मारने के लिए आएगा तब आप मुक्त हो जाना।

भगवान ने जो योजना बनाई थी, उसी के अनुसार श्रीकृष्ण का अवतार हो गया और इसी अवतार ने विश्वकल्याण के कार्य करते ​हुए मनुष्य को जीने की राह दिखाई।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, भगवान ने संदेश दिया है कि जब भी कोई काम करना हो तो उसकी योजना जरूर बनाएं। योजना अच्छी होगी तो सफलता जरूर मिलेगी।

Related posts

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—184

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—145

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—304

Jeewan Aadhar Editor Desk