धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से —428

एक लड़का अपने परिवार के साथ रहता था। उसके पिता जौहरी थे। एक दिन उसके पिता बीमार पड़ गए, धीरे-धीरे उनकी हालत बिगड़ती गई और अंत में उनका निधन हो गया। पिता के निधन के बाद परिवार पर आर्थिक संकट आ गया। ऐसे में मां ने घर चलाने के लिए बेटे को अपना एक कीमती हार दिया और कहा कि इसे अपने चाचा की दुकान पर दिखा देना, वे भी एक जौहरी हैं। इसे बेचकर जो पैसे मिलेंगे वह ले आना।

लड़के ने अपने चाचा को जब यह हार दिखाया, तो चाचा ने हार को अच्छे से देखा और कहा कि अभी बाजार बहुत मंदा है, इसे थोड़ा रुककर बेचना, तो अच्छे दाम मिल जाएंगे। फिलहाल तो तुम मेरी दुकान पर नौकरी कर लो, वैसे भी मुझे एक भरोसेमंद लड़के की जरूरत है। लड़का अगले दिन से दुकान का काम सीखने लगा।

वहां उसे हीरों व रत्नों की परख का काम सिखाया गया। अब उस लड़के के घर में आर्थिक समस्या नहीं रही। धीरे-धीरे रत्नों की परख में उसका यश दूरदराज के शहरों तक फैलने लगा दूर-दूर से लोग उसके पास अपने गहनों की परख करवाने आने लगे। एक बार उसके चाचा ने उसे बुलाया और कहा कि जो हार तुम बेचना चाहते थे, उसे अब ले आओ।

लड़के ने घर जाकर मां का हार जैसे ही हाथ में लेकर गौर से देखा तो पाया की वह हार तो नकली है। वह तुरंत दौड़कर चाचा के पास पहुंचा और उनसे पूछा कि आपने मुझे तभी सच क्यों नहीं बताया, जब मैं इस हार को बेचने आया था? इस पर चाचा ने कहा कि अगर मैं तुम्हें उस समय सच बताता तो तुम्हें लगता कि संकट कि घड़ी में चाचा भी तुम्हारे कीमती हार को नकली बता रहे हैं और तुम्हें मुझ पर यकीन नहीं होता, लेकिन आज जब तुम्हें खुद ही गहनों को परखने का ज्ञान हो गया है, तो अब तुम खुद असली-नकली की पहचान कर सकते हो।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, कभी सोचा है कि कई बार हमारी जिंदगी में भी ऐसा ही होता है, जब कम ज्ञान और गलत धारणाओं के कारण हम सही चीज को भी गलत मान लेते हैं, कई बातों पर भरोसा ही नहीं कर पाते कि वे सही भी हो सकती हैं। उम्र और समय के साथ जब हमें ज्ञान हो जाता है, तब हमें एहसास होता है कि उस वक्त हम कितना गलत थे।

Shine wih us aloevera gel

https://shinewithus.in/index.php/product/anti-acne-cream/

Related posts

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से —97

Jeewan Aadhar Editor Desk

स्वामी राजदास : मन की आसक्ति

Jeewan Aadhar Editor Desk

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से —85

Jeewan Aadhar Editor Desk