धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—285

एक राजा बहुत साहसी और कुशल शासक था। उसके राज्य की प्रजा राजा की वजह से सुखी थी। लेकिन, राजा में दो कमियां थीं। उसकी एक आंख और एक पैर नहीं था। वह लाठी के सहारे से चलता था। एक दिन टहलते-टहलते उसने राजमहल में एक खाली दीवार देखी। उसने सोचा कि यहां मेरी एक सुंदर तस्वीर होनी चाहिए।

राजा ने अपने मंत्रियों से कहा कि राज्य के सभी चित्रकारों को बुलाओ और मेरा चित्र बनाने के लिए कहो। मंत्रियों ने राज्य के सभी चित्रकारों को बुला लिया और राजा की इच्छा बताई। लेकिन, सभी चित्रकार ये सोच रहे थे कि राजा की एक आंख और एक पैर नहीं है, ऐसे में सुंदर चित्र कैसे बन सकता है। अगर राजा नाराज हो गया तो वह मृत्युदंड दे देगा। इसीलिए सभी चित्रकारों ने कुछ न कुछ बहाना बना चित्र बनाने से इंकार कर दिया और महल से चले गए। लेकिन, एक चित्रकार वहीं खड़ा रहा।

राजा ने उससे पूछा कि क्या तुम मेरा सुंदर चित्र बना सकते हो? चित्रकार ने हां कर दी और कहा कि मैं कुछ ही दिनों में आपका बहुत सुंदर चित्र बना दूंगा। राजा ने चित्रकार के लिए पूरी व्यवस्था कर दी। अब वह कलाकार अपने काम जुट गया। कुछ ही दिनों में उसने राजा का चित्र बना लिया।

राज्य के सभी लोग देखना चाहते थे कि आखिर इस चित्रकार ने राजा का सुंदर चित्र कैसे बनाया है? जब तस्वीर को सभी के सामने रखा गया तो सभी लोग हैरान थे। क्योंकि वास्तव में चित्र बहुत ही सुंदर था। चित्रकार ने राजा को एक तरफ से घोड़े पर बैठा हुआ दर्शाया था, राजा एक आंख बंद करके धनुष-बाण से निशाना लगा रहा था। इस तरह राजा की एक आंख और एक पैर की कमजोरी छिप गई थी।

चित्र देखकर राजा बहुत खुश हुआ और उसने चित्रकार बहुत सारा धन और कई उपहार भेंट किए।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, मुश्किल काम भी आसानी से पूरे हो सकते हैं। बस हमें सोच सकारात्मक रखनी चाहिए और धैर्य से काम लेना चाहिए।

Related posts

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—108

Jeewan Aadhar Editor Desk

परमहंस संत शिरोमणि सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—383

Jeewan Aadhar Editor Desk

ओशो : प्रेम की डगर