धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से — 350

एक बार की बात है सुरज नाम का एक लड़का था, एकदिन सुबह मे सुरज टहल रहा था, तभी उसकी नज़र एक छोटी सी पत्थर पर पड़ी। जैसे ही सुरज ने उस पत्थर को देखा, उसने उसे उठाया ओर जितना ज़ोर से फेंक सकता था, फेंक दिया। पत्थर एक, दो बार उछला और फिर कुछ दूर जाकर रूक गया।

सुरज चकित रह गया, उसने अब तक कभी ऐसा नहीं देखा था। उसने फिर से कोशिश करने का फैसला किया, इस बार सुरज ने पत्थर को ओर जोर से फेंका। इस बार पत्थर पहले से अधिक दूर तक दूर जाकर रूका। सुरज इतना उत्साहित था कि वह पत्थर फेंकता रहा, हर बार उसे और जोर से फेंकता रहा। प्रत्येक फेंके जाने पर पत्थर ओर दूर तक जाता रहा, जब तक कि पत्थर सुरज दृष्टि से गायब नहीं हो गया।

सुरज एक चट्टान पर बैठ गया और सोचने लगा कि अभी क्या हुआ था। उसे एहसास हुआ कि वह छोटा सा पत्थर केवल इसलिए इतनी दूर तक यात्रा करने में सक्षम था क्योंकि उसने उसे ऐसा करने की शक्ति दी थी। उसने जितनी जोर से पत्थर को फेंका, वह उतनी ही दूर तक गया ।

सुरज को एहसास हुआ कि यही सिद्धांत उसके जीवन पर भी लागू होता है। यदि वह महान चीजें हासिल करना चाहता है, तो उसे खुद को ऐसा करने की शक्ति देनी होगी। उन्हें अपने लिए चुनौतीपूर्ण लक्ष्य निर्धारित करना होगा और फिर उन्हें हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी,सुरज ने खुद से वादा किया कि वह अपने सपनों को कभी नहीं छोड़ेगा। वह कड़ी मेहनत करते रहेंगे और खुद पर विश्वास करना कभी नहीं छोड़ेंगे। वह जानता था कि यदि उसने ऐसा किया, तो वह सब कुछ हासिल कर सकता है जो-जो उसने ठाना है।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, आप जो भी ठान लोगे उसे हासिल कर सकते हैं, बेशर्ते आप खुद पर विश्वास रखें और कभी हार न मानें। आप जितनी मेहनत करेंगे, उतना ही आगे बढ़ेंगे। अपने लिए चुनौतीपूर्ण लक्ष्य निर्धारित करने से कभी नही डरें। खुद पर विश्वास रखें और अपने सपनों को कभी न छोड़ें।

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