धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से— 533

भगवान शिव को प्रसन्न करना बेहद आसान है। असुर हो, देवता हो या फिर कोई अन्य सामान्य मनुष्य, शिव ने कभी अपने भक्तों के साथ भेदभाव नहीं किया। अगर कोई सच्चे मन और श्रद्धा के साथ उन्हें याद करता है तो वो बड़ी आसानी से उसे अपना लेते हैं। साथ ही उसकी हर इच्छा को पूरी करते हैं। इसलिए महादेव के भक्त उन्हें भोलेनाथ कहकर पुकारते हैं। इतना ही नहीं भोलेनाथ अपने भक्तों के प्राणों की रक्षा भी कहते हैं। परंतु क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव को क्यों अपने प्राणों की रक्षा के लिए एकबार गुफा में छुपकर रहना पड़ा?

पुराणों में वर्णित एक कथा के अनुसार भस्मासुर नाम का एक राक्षस हुआ करता था। वह राक्षस दुनिया का सबसे ताकतवर असुर बनना चाहता था। साथ ही वह पृथ्वी का सबसे शक्तिशाली प्राणी बनकर सभी पर शासन करना चाहता था। अपने इसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए उसने शिव की कठोर तपस्या की। अपने भोलेनाथ उसकी वर्षों की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर उसके सामने प्रकट होते हैं। अपने सामने महादेव को खड़ा देख भस्मासुर उनके सामने नतमस्तक हो गया। भगवान शिव ने उसे वरदान को कहा। भस्मासुर ने पहले तो पहले अमरत्व का वरदान मांगा।

परंतु अमर होने का वरदान सृष्टि की नियम के विरुद्ध होने के कारण शंकर भगवान उसकी ये मांग नकार देते हैं। फिर कहते हैं कि ये असंभव है। क्योंकि जो भी इस दुनिया में आया है उसे एक न एक दिन जाना ही होगा। तब भस्मासुर अपनी मांग बदलकर एक वरदान मांगा कि जिसके भी सिर पर अपना हाथ रखे वह जलकर भस्म हो जाए। कहते हैं कि जब भस्मासुर को शिव से यह वरदान मिला तो सबसे पहले उसने शिव को ही अपना शिकार बनाया। शिव अपने द्वारा दिए गए वरदान को वापस नहीं ले सकते थे। इसलिए महादेव को स्वयं अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ा। जैसे-तैसे अपनी जान बचाकर भोलेनाथ शंकर भगवान विष्णु की शरण में जाकर उन्हें पूरी बात बताई।

सारी बात जानकार भगवान विष्णु भस्मासुर का अंत करने के लिए मोहिनी रूप रचते हैं। भस्मासुर की नजर मोहिनी रूप पर पड़ी। वह इतनी आकर्षक थी कि भस्मासुर अपनी सुध-बुध खो बैठा। वह यह भी भूल गया कि शिव की तलाश क्यों कर रहा था। भस्मासुर ने उस खूबसूरत स्त्री से पूछा कि उसका नाम क्या है? इस पर उस स्त्री ने कहा कि वह मोहिनी है। मोहिनी को देखकर भस्मासुर उसकी खूबसूरती की जाल में बंध गया। उसने मोहिनी से पूछा कि ‘क्या तुम मुझसे विवाह करोगी?’ मोहिनी जबाव में कहती हैं वह एक नर्तकी है। साथ ही वह सिर्फ उसी युवक से विवाह करेगी जो उसकी तरह नृत्य में सबसे आगे हो।

दरअसल भस्मासुर को नृत्य आता नहीं था तो उसने इस कार्य में मोहिनी से मदद मांगी। भस्मासुर ने मोहिनी कि क्या वह उसे नृत्य सिखाएगी? इस पर मोहिनी तुरंत तैयार हो गई और उसने कहा कि जैसे-जैसे वह नृत्य करती है वह वीर ठीक उसी प्रकार उसमें कदम मिलाए। इसके बाद भस्मासुर मोहिनी के कहे अनुसार उसकी तरह नाचने की कोशिश करने लगा। नृत्य सिखाते-सिखाते मोहिनी ने अपना हाथ अपने सिर पर रखा। उसे देखकर भस्मासुर ने भी शिव का दिया वरदान भूलकर अपने सिर पर हाथ रखा और जलकर भस्म हो गया। भस्मासुर से बचने के लिए भगवान महादेव जिस गुफा में शरण ली थी उस गुप्त धाम के नाम से जाना जाता है।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, जीवन में कभी भी दुष्ट और कपटी आदमी को इतना शक्तिशाली बनाने में सहायता मत करना कि आने वाले समय में वह आपके लिए ही कष्टकारी बन जाएं। इसी प्रकार किसी के प्रति इतना अधिक आसक्त नहीं होना चाहिए कि वह आपके पतन का कारण बन जाएं। महादेव ने भस्मासुर को शक्तिशाली बनाया तो उन्हें स्वयं को इधर—उधर भागना पड़ा। इसीप्रकार भस्मासुर मोहिनी के रुप पर आसक्त हुआ तो अपने प्राण गंवाने पड़े।

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