प्रचलित कथा के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी ने विचार किया कि इस सृष्टि को चलाने के लिए कुछ नए प्रयोग करना चाहिए। उस समय उनके मन से एक युवक उत्पन्न हुआ, जिसका नाम कामदेव था। इसके बाद ब्रह्मा जी के हृदय से एक युवती उत्पन्न हुई, जिसका नाम संध्या था।
कामदेव ने ब्रह्मा जी से कहा, ‘मैं आपका पुत्र हूं, अब आप मुझे कुछ काम पर लगाएं, मुझे करना क्या है?’
ब्रह्मा जी ने कहा, ‘मैं संसार बना रहा हूं तो संसार में काम ऊर्जा की भी आवश्यकता है। वासनाओं का मनुष्य सही उपयोग कर लेगा तो ये वासनाएं शक्ति बन जाएंगी। तुम्हारा काम है, तुम लोगों को मोहित करोगे। स्त्री और पुरुषों के बीच आकर्षण तुम्हारी वजह से होगा।’
कामदेव ने विचार किया कि मुझे इतना बड़ा काम दिया गया है तो चलो शुरुआत करते हैं और प्रयोग करें कि जो वरदान मुझे दिया गया है, वह सही है या नहीं।
ऐसा सोचकर कामदेव ने सबसे पहला प्रयोग ब्रह्मा जी पर ही कर दिया। ब्रह्मा जी ही काम में डूब गए। उनके मन अपनी ही पुत्री संध्या के लिए गलत विचार जाग गया। इसके बाद कामदेव ने इतना आतंक मचाया कि उस समय सारे ऋषि-मुनि, जितने लोग थे, सभी काम वासना में डूब गए। लोग चरित्र से गिरने लगे। तब सभी घबरा कर विष्णु जी के पास पहुंचे। विष्णु जी ने कामदेव को शांत किया।
कामदेव ने कहा, ‘इसमें मेरा क्या दोष है, जो मुझे कहा गया है, मैंने वही किया है।’
इसके बाद ऋषि-मुनियों ने अथक प्रयास से कामदेव को काबू करने का रस्ता खोज निकाला। ऋषि-मुनियों ने पाया कि ध्यान—योग—भक्ति से कामदेव को वश में किया जा सकता है। इसके बाद सभी ऋषि-मुनि नित्य ध्यान—योग—भक्ति करने लगे।
धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, हमारे ही मन से गलत विचार पनपते हैं। जिन विचारों की वजह से हम परेशान रहते हैं, वे हमारे ही मन से पैदा होते हैं। हमारे मन में बुरे विचार आते हैं और बाद में उन्हीं की वजह से दुखी होते हैं। जब भी नकारात्मकता बढ़ने लगे, मन में गलत काम करने के लिए विचार आने लगें और जब इसकी वजह तलाश करेंगे तो आप पाएंगे कि इन विचारों की उत्पत्ति हमारे ही मन से हुई है। इसलिए समय-समय पर मन की सफाई करते रहना चाहिए। इसके लिए ध्यान-योग करते रहना चाहिए। ऐसा करने से हमारा मन गलत विचारों से बच सकता है।