धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—759

एक बार एक संत किसी गाँव से गुजर रहे थे। गाँव के बाहर दो रास्ते थे— एक रास्ता चौड़ा, समतल और भीड़-भाड़ वाला था। दूसरा रास्ता संकरा, पथरीला और शांत था।

एक युवक असमंजस में खड़ा था। उसने संत से पूछा, “महात्मा जी, कौन-सा रास्ता सही है?”

संत मुस्कुराए और बोले, “तू पहले बता— तुझे मंज़िल जल्दी चाहिए या सही?”

युवक बोला, “सही चाहिए, पर रास्ता कठिन न हो।”

संत ने पास पड़ी एक टोकरी उठाई। उसमें दो बीज थे— एक चमकदार, पर खोखला। दूसरा साधारण, पर मजबूत।

संत ने कहा, “चमकदार बीज दिखने में अच्छा है, पर उससे पौधा नहीं उगेगा। साधारण बीज मेहनत माँगेगा, पर वही फल देगा। रास्ते भी वैसे ही होते हैं, और विचार भी।”

युवक चुप हो गया।

संत आगे बोले, “जिसके विचार सही होते हैं, उसका रास्ता भले कठिन हो, पर दिशा कभी गलत नहीं होती।”

युवक ने संकरा रास्ता चुन लिया। रास्ते में वह कई बार थका, गिरा भी, पर धीरे-धीरे उसने देखा— चारों ओर शांति है, मन स्थिर है, और मंज़िल पास आती जा रही है।

वहीं चौड़े रास्ते पर चलने वाले लोग भीड़ में भटकते रहे, कभी इधर, कभी उधर।

मंज़िल पर पहुँचकर युवक फिर संत से मिला। उसने हाथ जोड़कर कहा, “आज समझ आया—
रास्ता नहीं, विचार तय करते हैं कि हम कहाँ पहुँचेंगे।”

संत ने आशीर्वाद दिया और कहा, “याद रखना— अच्छे विचार दीपक की तरह होते हैं, वे न केवल रास्ता दिखाते हैं, बल्कि अंधेरे में भी मनुष्य को गिरने से बचाते हैं।”

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, जैसे बीज से वृक्ष बनता है, वैसे ही विचारों से जीवन बनता है। अच्छे विचार जीवन को सही दिशा देते हैं।

Shine wih us aloevera gel

Related posts

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से- 543

Jeewan Aadhar Editor Desk

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—497

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से — 599