कड़ी मेहनत से दिया था लालासर साथरी को भव्य रूप, समाज को रूला गया स्वामी जी का निधन
हिसार,
बिश्नोई धर्म के संस्थापक गुरू जम्भेश्वर भगवान के निर्वाण स्थल लालासर साथरी (बीकानेर) के महंत स्वामी राजेन्द्रानंद का शुक्रवार को निधन हो गया। वे पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। उनके निधन को समाज के लिए अपूर्णीय क्षति माना जा रहा है। हिसार सहित पूरे देश के विभिन्न क्षेत्रों में बिश्नोई समाज के हजारों श्रद्धालु हैं, जिनसे स्वामी राजेन्द्रानंद सीधे जुड़े हुए थे।
लगभग 68 वर्षीय स्वामी राजेन्द्रानंद महाराज ने अपनी कड़ी मेहनत से लालासर साथरी को भव्य रूप प्रदान किया था। किसी समय छोटे से मंदिर से पहचाने जाने वाला लालासर साथरी स्वामी राजेन्द्रानंद की मेहनत व समाज के लोगों के सहयोग से देखते ही देखते भव्य धाम के रूप में समाज के सामने आया। उन्होंने यहां पर गुरू जम्भेश्वर भगवान का एक भव्य मंदिर बनवाया और उन्हीं की मेहनत का परिणाम है कि मंदिर के साथ—साथ यहां पर एक गौशाला भी चल रही है। स्वामी राजेन्द्रानंद के सानिध्य में हर वर्ष साथरी में गुरू जम्भेश्वर भगवान की कथा होती थी। समाज के लोगों ने स्वामी राजेन्द्रानंद को मेहनती, कर्मठ व कर्मयोगी संत बताते हुए उन्हें अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि दी है।
समाज के लोगों का कहना है कि लालासर साथरी को इतना भव्य स्वरूप देने के अलावा स्वामी राजेन्द्रानंद ने हर मेले से पूर्व सप्ताह भर प्रचार के लिए कथा का आयोजन करवाते थे। कथा में युवाओं की जानकारी बढाने के लिए अलग सत्र रखा जाता था। उनके शिष्य आचार्य सच्चिदानंद जी भी उनके सानिध्य में लोकप्रियता हासिल करके धर्म प्रचार और जाभांणी के मूल मर्म को आगे बढाने में लगे हैं।
अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के मनोनीत सदस्य राजेेश्वर बैनीवाल, अखिल भारतीय बिश्नोई युवा संगठन हरियाणा के अध्यक्ष नरषोत्तम मेजर, आदमपुर हलका प्रभारी सुरेश गोदारा, प्रदेश महासचिव राजीव पूनिया, हलका अध्यक्ष ओम विष्णु बैनीवाल, सदस्य कुलदीप बैनीवाल, युवा समाजसेवी संदीप पूनिया, हरियाणा रोडवेज संयुक्त कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष दलबीर किरमारा, हिसार डिपो प्रधान रामसिंह बिश्नोई, कोषाध्यक्ष सुभाष बिश्नोई, फतेहाबाद डिपो प्रधान ईश्वर सहारण व सुभाष सिंवर सीसवाल ने स्वामी राजेन्द्रानंद के निधन पर शोक जताते हुए इसे अपूर्णीय क्षति बताया है।