बेटियों ने सीखे आत्मरक्षा के गुर, आत्मविश्वास के साथ हर स्थिति का सामना करने के लिए हुई तैयार
हिसार,
सेल्फ डिफेंस सोसायटी ने ऑन लाइन ट्रेनिंग के माध्यम से पूरे देश की लड़कियों को नि:शुल्क सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दी। सेल्फ डिफेंस सोसायटी संस्था के अध्यक्ष रोहतास कुमार ने बताया कि इस कैंप का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को आत्म सुरक्षा के मामले में पूरी तरह से आत्म निर्भर बनाना तथा असामाजिक तत्वों व असुरक्षित माहौल में उनके मन से डर की भावना को पूरी तरह से दूर करना था। देश के विभिन्न राज्यों की लड़कियों ने इस निशुल्क कैंप का भरपूर लाभ उठाया और सेल्फ डिफेंस के गुर सीखे। रोहतास कुमार ने बताया कि वर्तमान में वे मलेशिया में सेल्फ डिफेंस, ताइक्वांडो, कराटे की ट्रेनिंग दे रहे हैं और वहीं से उन्हें देश की बेटियों के लिए इस निशुल्क सेल्फ डिफेंस शिविर का आयोजन किया गया है। इस शिविर में भारत के दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, कोलकाता, हरियाणा, गुजरात, केरल, छत्तीसगढ़, पंजाब, ग्वालियर, वाराणसी, पुणे, पटना और अन्य राज्यों से अनेक लड़कियों ने ट्रेनिंग का हिस्सा बनकर आत्मारक्षा के गुर सीखे।
कोच रोहतास कुमार ने लड़कियों को ट्रेनिंग के दौरान बताया कि अगर कोई आपको सामने से गला पकड़ता है तो आप अपने दोनों हाथों के अंगूठे उसके आंख में डाल दो। छाती के लिए लक्ष्य न करें, क्योंकि वह पुरुष अप्रभावी हो जाता है। घुटनों, आंख, नाक, चिन्ह पर वार करें। अगर आपको कोई पीछे से गला दबाता है तो आप को सांस लेने तकलीफ होती है।आप अपनी गर्दन को लेफ्ट या राइटसाइड घूमाइए फिर आप अपने बचाव के लिए उसके कान ऊपर की तरफ जोर से खींचे। अगर आपके साथ कोई जबरदस्ती करने की कोशिश करता है। आप बिना सोचे समझे अपने हाथों के अंगूठे उनके आईज में डाल दो। दूसरा वार उसके गर्दन में उंगलियां डाल दो। अगर कोई व्यक्ति आपको पीछे से पकड़ लेता है। सामने की तरफ झुक जाएं। अपने दोनों पैरों को खोल कर। उस व्यक्ति की राइट या लेफ्ट राइट ऊपर की तरफ जोर से खींचे। पूरा बॉडी वेट के साथ उसके ऊपर गिर जाए और एल्बो से उसके फेस पर अटैक करें।
कैंप में शामिल हुई 12वीं कक्षा की छात्रा अनुष्का जो कि हिसार से है उसने कहा कि हमें जो नहीं हैं इस चीज का अफसोस करने की बजाय वे जो हैं उससे प्यार करें। जीवन में आगे बढऩे के लिए आत्म विश्वास सबसे अधिक मजबूत चीज है इसलिए हममें आत्मविश्वास जरूर होना चाहिए। देश की बेटियों को यह धारणा रखनी चाहिए कि यह जिंदगी मेरी है, मंजिल मुझे तय करनी है तो रस्ता भी मैं खुद बनाउंगी। यही कोच रोहताश कुमार ने हमें सिखाया है।