हरियाणा

आदमपुर को कर्म क्षेत्र बनाकर राजनीतिक बुलंदियों पर पहुंचे चौ. भजनलाल

तीन जून को हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. चौ. भजनलाल की 10वीं पुण्यतिथि पर विशेष

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौ. भजनलाल के विलक्षण व्यक्तित्व, लंबे-चौड़े राजनीतिक एवं सामाजिक जीवन पर अगर प्रकाश डालना शुरू करें, तो कई किताबें भर जाएंगी, परंतु पिताजी की 10वीं पुण्यतिथि पर आज मैं उनसे जुड़े कुछ खास पहलुओं को आपके साथ सांझा कर रहा हूं। कोड़ावाली ग्राम से गुरू जांभो जी के भक्त रेहड़ाराम जी की 16वीं पीढ़ी में 445 वर्ष बाद आदर के योग्य खैराज जी के घर 6 अक्तूबर 1930 विक्रमी सम्वत् 1987 को भजनलाल जी का जन्म हुआ। कृषक मेरे दादा जी आदरणीय खैराज जी ने पिता जी को गांव कोड़ावाली के प्राथमिक स्कूल से पांचवीं की परीक्षा पास करवाई। अगस्त 1947 को जब भारत का विभाजन हुआ तो दादा खैराज जी अपने हरे भरे खेत खलिहान व दुधारू पशुओं को छोड़कर वर्तमान फतेहाबाद जिले के गांव मोहम्मदपुर रोही में आकर बस गए। विभाजन की त्रासदी झेलते पिताजी ने युवावस्था में माता-पिता की आज्ञा से व्यापार करने का मन बनाया और आदमपुर को अपना कर्म क्षेत्र चुनकर यहां कपड़े का व्यापार आरंभ किया।

वे अपनी लोकप्रियता के बल पर सर्वाधिक लम्बे समय तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। राजनीति में आने के बाद पिताजी जीवन पर्यन्त किसी न किसी सदन के सदस्य अवश्य रहे। विस्मय की बात है कि चौ. भजनलाल जी की कोई पारिवारिक राजनैतिक पृष्ठभूमि नहीं थी। वे एक साधारण कृषक परिवार से आए और राज्य और राष्ट्रीय क्षितिज पर छा गए। पूरे देश में ज्योति बसु और मोहन लाल सुखाडिय़ा के बाद पिता जी ही ऐसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री हुए जिन्होंने हरियाणा पर 11 साल 9 मास और 22 दिन शासन किया। चौ. भजनलाल ने राजनीति के द्वारा जनता व प्रदेश के हितों को सर्वोपरि समझा। इसी कारण प्रदेशवासियों के सहयोग से पिताजी राजनीति के उस मुकाम पर पहुंचे जहां विरले ही आदमी पहुंचते हैं। फरवरी 2005 को हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में चौ. भजनलाल ने कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर 86963 मतों से जीत हासिल करके नया कीर्तिमान स्थापित किया।

सबसे पहले 28 जून 1979 को वे पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने तथा दूसरी बार 23 मई 1982 से लेकर 5 जून 1986 तक उन्होंने हरियाणा की बागडौर संभाली व तीसरी बार 24 जून 1991 से लेकर 8 मई 1996 तक वे मुख्यमंत्री रहे। करनाल और फरीदाबाद लोकसभा से भी सांसद रहे। 1970 में जब चौ. भजनलाल कृषि मंत्री बने तो इस दौरान वे लुधियाना के कृषि विश्वविद्यालय में एक बैठक में भाग लेने के लिए गए और वहीं उन्होंने निश्चय कर लिया कि हरियाणा में भी ऐसा ही कृषि विश्वविद्यालय स्थापित किए जाने की मांग करेंगे और इस मांग पर फूल चढ़ाते हुए चौधरी चरण सिंह के नाम से हिसार में कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना की गई जो आज पूरे एशिया में ख्याति प्राप्त है। चाहे एसवाईएल के निर्माण का मामला हो या फिर प्रदेश की राजधानी चंडीगढ़ को पंजाब को सौंपने का फैसला प्रदेश के हितों से जुड़े अहम मसले पर चौ. भजनलाल ने हरियाणा की वकालत पूरे दमदार तरीके से की। प्रदेश की प्यासी जनता की समस्या को दूर करने के लिए 9 अप्रैल 1982 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से कपूरी गांव में कस्सी चलवाकर एसवाईएल की खुदाई का कार्य शुरू करवाना उनकी दूरदर्शिता थी। एसवाईएल के निर्माण का 98 प्रतिशत कार्य अपने कार्यकाल में पूरा करवाकर तथा अदालतों में दमदार तरीके से हरियाणा की पैरवी कर उन्होंने इस मसले पर पूरी संजीदगी दिखाई।

चौ. भजनलाल ने सत्ता में रहते प्रदेश की 36 बिरादरी के लिए एक समान विकास कार्य करवाए तथा राज्य के हर क्षेत्र का चहुंमुखी विकास करवाया। चाहे एसवाईएल के निर्माण का मामला हो या फिर प्रदेश की राजधानी चंडीगढ़ को पंजाब को सौंपने का विरोध करना हो, हर एक अंतरराज्यीय मसले पर चौ. भजनलाल ने हरियाणा प्रदेश की वकालत पूरे दमदार तरीके से की। मानेसर में टेक्नीकल हब व औद्योगिक नगरी बन चुके गुडग़ांव का ब्लू प्रिंट तैयार करवाना, एक परिवार को एक रोजगार योजना लागू करना, पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत करके 25 वर्षों के बाद दोबारा जिला परिषदों का गठन करना व महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था करना, ग्रामीण क्षेत्रों को दिन भर में 16 घंटे बिजली उपलब्ध करवाना, अपनी बेटी अपना धन योजना लागू करके कन्या के जन्म पर 2500 रुपये के इंदिरा विकास पत्र के बदले 18 वर्ष बाद 25 हजार रुपये का भुगतान किया जाना व लड़कियों के लिए स्नातक तक मुफ्त शिक्षा योजना लागू करना, मात्र पांच वर्ष के कार्यकाल में 45000 नए ट्यूबवेलों को बिजली कनेक्शन देकर एक रिकॉर्ड स्थापित करना आदि उनके मुख्यमंत्री काल की उपलब्धियों की लम्बी फेहरिस्त है। वर्ष 1995 में आई भीषण बाढ़ के समय किसानों को 3000 रुपए से लेकर 10000 रुपए तक प्रति एकड़ व ट्यूबवैल के लिए 50 हजार रुपए का मुआवजा तुरंत प्रदान करके और बाढ़ पीडि़तों की मदद को जुटे रहकर उन्होंने राष्ट्रीय स्तर अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया। इसके अलावा चौ. भजनलाल ने अपने कार्यकाल में न केवल समाज की 36 बिरादरी के कल्याण के लिए अहम फैसले लिए बल्कि लोगों को मूलभूत सुविधाएं देने के लिए बड़े पैमाने पर आधारभूत ढांचे का विस्तार करवाया। तीन बार मुख्यमंत्री रहे चौ. भजनलाल ने अपने कार्यकाल में ऐसे अनेक जनकल्याणकारी कदम उठाए जो कालांतर में मील का पत्थर साबित हुए। इनमें प्रदेश के पिछड़े वर्गों का आरक्षण 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करवाना, मेवात डेवलपमेंट बोर्ड का गठन करवाना तथा मेवात में आईआईटी इंस्टीट्यूट की स्थापना का प्रावधान करना, रोहतक में पंडित भगवत दयाल शर्मा मेडिकल कॉलेज को अपग्रेड करना व पंजाबी भाषा को हरियाणा में दूसरी भाषा का दर्जा दिलाने समेत अनेक ऐसे कार्य हैं, जिन सभी का यहां जिक्र करना संभव नहीं है।

पिताजी की पहचान नम्र स्वभाव के राजनेता के रूप में की जाती रही, मगर वक्त पडऩे पर वे सख्त प्रशासक भी थे। इसका एक उदाहरण बताता हूं। जब 1982 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एशियाड-82 भारत में करवाने के लिए सभी प्रदेशों के सामने प्रस्ताव रखा तो उस समय पंजाब के हालात नाजुक थे। आतंकवादियों ने इंदिरा गांधी को धमकी दी थी कि दिल्ली में एशियाड-82 किसी भी कीमत पर नहीं होने देंगे। हरियाणा के रास्ते से ही पंजाब का प्रवेश दिल्ली में होता है। उस समय इंदिरा गांधी ने चौ. भजनलाल को बुलाकर इस समस्या का समाधान पूछा तो पिता जी ने उनको भरोसा दिलाया कि आप चिन्ता ना कीजिए आतंकवादियों का दिल्ली में घुसना तो दूर की बात है, ऐसी व्यवस्था कर दूंगा कि आपकी आज्ञा के बिना कोई परिंदा भी पर नहीं मारेगा और पिता जी ने ऐसा कर दिखाया। चौ. भजनलाल ने जीवन में जिन उच्च उपलब्धियों को प्राप्त किया वह बड़ी थी, परंतु उनके व्यक्तित्व में उससे भी बड़ी बात यह थी कि वे सफलता के सितारों में विचरण करते हुए भी धरातल को कभी नहीं भूलते थे। उनकी यही विशेषता उन्हें जननायक की श्रेणी में स्थापित करती है। उनके व्यक्तित्व का हर पहलू हमें यही शिक्षा देता है कि अगर व्यक्ति सच्ची लग्न, कठोर श्रम, दृढ़ निश्चय, उच्च साहस, ईमानदारी व पूर्ण समर्पण के साथ आगे बढ़े तो कोई मंजिल ऐसी नहीं है जो चलकर उसके सामने न आए।

लेखक-
कुलदीप बिश्नोई
चौ. भजनलाल के पुत्र एवं विधायक आदमपुर हैं

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