सीएमओ के माध्यम से निदेशक को भेजा ज्ञापन
हिसार,
जिले की आशा वर्करों ने अपनी मांगों व समस्याओं के हल के लिए नागरिक अस्पताल में धरना दिया और नारेबाजी की। सीटू से संबंधित आशा वर्कर यूनियन ने इस दौरान सीएमओ के माध्यम से राष्ट्रीय स्वास्थ्य निदेशक पंचकूला के नाम ज्ञापन भी भेजा। धरने की अध्यक्षता जिला अध्यक्ष सीमा ने की जबकि संचालन अनिता ने किया।
धरने को संबोधित करते हुए सीटू जिला सचिव कामरेड सुरेश कुमार ने कहा कि आशा वर्कर पूरे कोविड के दौरान लगातार घर-घर जाकर लोगों को कोरोना से बचाने के उपाय, दवाई व व टेस्ट आदि के काम करती रही। इस दौरान जिन आशाओं की कोरोना के कारण मौत हुए, उन्हें सरकार से कोई मदद नहीं मिली। बहुत सी आशा वर्करों के पास आईडी कार्ड नहीं होने के कारण भी इन्हें तरह-तरह के संकटों का सामना करना पड़ा फिर भी सरकार ने आशा वर्करों का कई माह से रूका हुआ मानदेय नहीं दिया। हरियाणा सरकार जानबूझकर आशा वर्करों को परेशान करने की रणनीति पर चल रही है। उन्होंने मांग की कि आशा वर्करों जो-जो समस्याएं हैं, उन्हें तुरंत लागू किया जाए अन्यथा आशा वर्कर यूनियन बड़ा आंदोलन करने को मजबूर होगी। आज के प्रदर्शन को सीटू कोषाध्यक्ष मनोज सोनी, सह सचिव विरेंद्र दुर्जनपुर, आशा वर्कर यूनियन नेता सीमा, कमलेश उकलाना, रोशनी, सुनीता व सुशीला आदि ने भी संबोधित किया
इस दौरान आशा वर्करों ने अपने ज्ञापन में मांग की कि आशाओं के फोन में डाऊनलोड करवाई जा रही एडीएम शील्ड 360 ऐप को तुरंत बंद किया जाए। आशा वर्कर्स की स्थिति दो-दो फोन एक साथ रखने की नहीं है। विभाग द्वारा दिए गए फोन में ऐप डाऊनलोड होने के बाद आशा वर्कर्स की पर्सनल जानकारी का दुरूपयोग होने का खतरा है क्योंकि आशा वर्कर सब महिलाएं हैं। किसी महिला द्वारा प्रयोग किए जा रहे फोन में ऐसी सर्विलांस कई तरह की दिक्कतें पैदा कर सकती है, इसलिए इस ऐप को फोन में डाऊनलोड करवाना बंद किया जाए। आशा वर्करों के पहचान पत्र बनाकर तुरंत जारी किए जाएं, मास्क, सेनेटाइजर व अन्य उपकरण दिए जाएं, कोरोना से मृत्यु हुई आशा वर्कर के परिवार को अविलंब 50 लाख तथा केंद्र व हरियाणा सरकार से 10 लाख का बीमा दिया जाए, आठ एक्टिविटी का काटा गया 50 प्रतिशत तुरंत वापस लागू किया जाए, 10 हजार रुपये जोखिम भत्ता दिया जाए, कोरोना के लिए दिए जा रहे 1000 प्रोत्साहन राशि का 50 प्रतिशत दिया जाए, आशा को ग्राम स्तरीय स्थाई कर्मचारी बनाया जाए, जब तक पक्का कर्मचारी नहीं बनाया जाता तब तक हरियाणा सरकार का न्यूनतम वेतन दिया जाए और इसे महंगे भत्ते के साथ जोड़ा जाए। ईएसआई एवं पीएफ की भी सुविधा दी जाए। आशा वर्कर्स को हेल्थ वर्कर्स का दर्जा दिया जाए, दसवीं से कम पढ़ी हुई 60 वर्ष की आशाओं को रिटायरमेंट बेनिफिट दिए बिना छंटनी बंद की जाए, आशा पे ऐप आशा सर्वेक्षण ऐप की ट्रेनिंग बड़ी स्क्रीन पर दी जाए, आशाओं को किसी भी काम के लिए दो-तीन दिन पहले सूचित किया जाए, तुरंत एकदम से किसी काम के लिए उपस्थित होने के लिए ना कहा जाए।