किसान व वैज्ञानिक एक सिक्के के दो पहलू, किसान हित के लिए मिलकर करें काम
हिसार,
वर्तमान समय में घट रही जोत के चलते किसानों द्वारा फसल विविधिकरण एवं आधुनिक तकनीक को अपनाया जाना ही एकमात्र सहारा है ताकि वे अधिक से अधिक उत्पादन हासिल कर अपनी आमदनी को बढ़ा सकें।
यह बात हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय व गुरू जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति प्रोफेसर बीआर कम्बोज ने कही। वे जिले के गांव लोहारी राघो में फसलों की उन्नत और सुरक्षा तकनीकों को लेकर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन कृषि विज्ञान केंद्र हिसार व कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से किया गया था। मुख्य अतिथि ने कहा कि किसानों की जोत दिन-प्रतिदिन छोटी होती जा रही है। ऐसे में किसान परम्परागत खेती को छोडक़र फसल विविधिकरण जिसमें बागवानी, मधुमक्खी पालन, सब्जियां उगाकर, मशरूम उत्पादन आदि को अपनाकर आय को बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय लगातार किसान हित के लिए विभिन्न फसलों की अधिक पैदावार देने वाली उन्नत किस्मों व आधुनिक कृषि तकनीकों पर अनुसंधान कर रहा है। इसके निरंतर बेहतर परिणाम भी मिल रहे हैं जो किसानों के लिए बहुत ही लाभदायक साबित हो रहे हैं। इसके अलावा विश्वविद्यालय में जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण संरक्षण, भौगोलिक परिस्थितयों, जल व मृदा संरक्षण जैसे अन्य महत्वपूर्ण घटकों को ध्यान में रखकर भी अनुसंधान कार्य किए जा रहे हैं जो न केवल किसानों बल्कि सभी वर्गों के लिए लाभदायक साबित होंगे।
कुलपति प्रो.बीआर कम्बोज ने कहा कि किसान व वैज्ञानिक एक सिक्के के दो पहलू हैं। किसानों के पास खेती संबंधी अपने क्षेत्र का लंबा अनुभव होता है वहीं दूसरी ओर वैज्ञानिकों के पास आधुनिक तकनीक व उन्नत किस्में होती हैं। इसलिए इन दोनों के एक हो जाने से बहुत ही सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। जब तक तकनीक लैब से निकलकर किसान के खेत तक नहीं जाएगी तब तक उसका अनुसंधान को कोई महत्व नहीं है। इसलिए लैब टू लैंड की रणनीति को अपनाते हुए वैज्ञानिकों को काम करना होगा। विश्वविद्यालय में रोजगारोन्मुखी अनेक प्रकार के कृषि व उससे संबंधित प्रशिक्षण आयोजित किए जाते हैं, जिनको हासिल कर बेरोजगार युवक-युवतियां, महिलाएं स्वरोजगार स्थापित कर सकते हैं और अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा विश्वविद्यालय के एग्री बिजनेस इंक्युबेशन सेंटर से जुडक़र अपने व्यवसाय को बढ़ा सकते हैं और अन्य लोगों को भी रोजगार दे सकते हैं। कार्यक्रम में किसानों ने अन्नदाता का प्रतीक हल भेंट कर व पगड़ी पहनाकर कुलपति को सम्मानित किया। ग्रामीणों की मांग पर कुलपति ने गांव लोहारी राघो को फार्मर फस्र्ट योजना के तहत गोद लिया और विश्वविद्यालय की ओर से हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया।
विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. रामनिवास ढांडा ने कहा कि विश्वविद्यालय की ओर से लगातार किसानों के हित के लिए जिलेवार किसान गोष्ठी आयोजित कर फसलों की समग्र सिफारिशों व मौजूदा समय में आने वाली समस्याओं की जानकारी दी जा रही है। किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए वैज्ञानिकों की टीम गांव-गांव जाकर फसलों का जायजा ले रही है और मौके पर ही किसानों को सलाह दी जा रही है। अनुसंधान निदेशक डॉ. एसके सहरावत ने कहा कि किसानों को विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न फसलों के लिए की गई समग्र सिफारिशों की पालना करनी चाहिए। इस अवसर पर देसराज कम्बोज, सरपंच चंद्रकांता, पूर्व सरपंच ध्यान सिंह, ओमप्रकाश, रतन कुमार बडग़ुज्जर, ओएसडी डॉ. अतुल ढींगड़ा, कुलसचिव डॉ. राजवीर सिंह सहित कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक व अनेक गांवों के किसान मौजूद रहे।