हिसार

विख्यात भजनोपदेशिका अंजलि आर्या ने आर्य समाज के वेदप्रचार सप्ताह में बिखेरी भजनों की छटा

‘बिन आत्मज्ञान के दुनिया में इंसान भटकते देखे हैं, आम बशर की बात ही क्या सुलतान भटकते देखे हैं’

हिसार,
आर्य समाज लाजपत राय चौक नागोरी गेट स्थित भवन में चल रहे श्रावणी उपाकर्म पर्व वेदप्रचार सप्ताह की प्रात:कालीन सभा का आरंभ यज्ञ-हवन से हुआ। यज्ञ के यजमान निखिल आर्य, शशि आर्या, सुमन, सुमनलता, ईश्वर सिंह आर्य सतप्रीक, गीता मित्तल व संतोष आर्या थे। यज्ञ का संपादन कर्मवीर शास्त्री ने किया। कार्यक्रम में मंच का संचालन स्वामी ब्रह्मानंद ने किया। वेद प्रचार अधिष्ठाता ने बताया कि वेद प्रचार सप्ताह का समापन रविवार 29 अगस्त को दोपहर को किया जाएगा। समापन के अवसर पर ऋषि लंगर प्रीतिभोज की व्यवस्था भी की गई है।
कार्यक्रम में करनाल से पहुंची भारत विख्यात भनोपदेशिका कुमारी अंजलि आर्या ने ईश्वर भक्ति के गीतों से अपना कार्यक्रम आरंभ किया। उन्होंने ‘दाता तेरे सुमरन का वरदान जो मिल जाए, मुरझाई कली दिल की इक आन में खिल जाए’ भजन गाया। अंजलि आर्या ने अपने उपदेश में मनुष्यों को आत्मज्ञानी बनने का उपदेश दिया। उन्होंने अपने भजन में कहा कि ‘बिन आत्मज्ञान के दुनिया में इंसान भटकते देखे हैं, आम बशर की बात ही क्या सुलतान भटकते देखे हैं।’ अंजलि आर्या ने आज के तथाकथित गुरुओं की पोल खोलते हुए कहा कि संसार के लोगों को गुमराह करने वाले आज स्वयं ही गुमराह हो रहे गए हैं और अपने दुष्कर्मों का फल जेलों में भुगत रहे हैं।
रिवालाधाम जयपुर से पहुंचे स्वामी सच्चिदानंद महाराज ने अपने संबोधन में कहा कि शास्त्रों में परमात्मा का मुख्य निज नाम ओ३म् बताया गया है। परमात्मा के अन्य नाम भी इस नाम में समाहित हो जाते हैं। ओ३म् का नामांतर प्रणव है, यह ईश्वर का वाचक है। ईश्वर के साथ ओंकार का वाच्य वाचक भाव संबंध नित्य है। हमारे सभी वेद मंत्रों का उच्चारण भी ओ३म् से ही प्रारंभ होता है। ओ३म् नाम में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई, जैन, बौद्ध जेसी कोई बात नहीं है। ओ३म् को तो सभी पंथों ने संस्कृतियों ने अपनाया है। ओ३म् सर्वकालिक तथा सार्वभौमिक है। हमारे शास्त्रों में ओंकार का जप सबसे बड़ा जप बताया गया है। ओ३म् सिर्फ आस्था हीं नहीं इसका वैज्ञानिक आधार है। प्रतिदिन ओंकार का जप न सिर्फ ऊर्जा का संचार करता है, बल्कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर कई असाध्य बीमारियों से दूर रखने में मदद करता है। ओ३म् अनहद नाद है, ये युनिवर्स साउण्ड है ऐसा नासा के वैज्ञानिक भी मानते हैं। हमारे वेद शास्त्रों में ओ३म् की महिमा के मंत्र और सक्त भरे पड़े हैं। सभी मनुष्यों को मानसिक शांति के लिए सुबह-शाम ओ३म् का जप जरूर करना चाहिए।
सत्संग सभा में हरिसिंह सैनी, नरेंद्रपाल मिगलानी, महावीर सिंह आर्य, राधेश्याम आर्य, मदन वासुदेवा, रामकुमार आर्य, देवेंद्र सैनी, नंदलाल चोपड़ा, कृष्णपाल तोमर, सत्यप्रकाश आर्य, आजाद मुनि, सतेंद्र आर्य, सुरेंद्र रावल, रामसहाय चुघ, रामकुमार रावलवासिया, डॉ. मिश्री लाल, गोपीचंद आर्य, मेजर करतार सिंह, बलराज मलिक, शशि आर्या, सरोज आर्या, सीमा काठपाल, सीमा मल्होत्रा, सीताराम आर्य, मोहन सिंह, श्याम सुंदर, धर्मपाल आर्य, प्रेम कुमार गाबा, सूर्यदेव वेदांशु, रमेश लीखा, रतन सिंह आर्य व झंडूराम आर्य आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम में जगन्नाथ आर्य वरिष्ठ कन्या विद्यालय की छात्राएं, सीएवी शिक्षण संस्था के छात्र-छात्राएं भी काफी संख्या में उपस्थित रहे।

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