हिसार,
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के विस्तार शिक्षा निदेशालय की ओर से फार्मर फस्र्ट परियोजना के तहत गांव चिड़ोद में एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। इसमें पशुपालकों को पशु पोषण व हरे चारे के उत्पादन पर जानकारी दी गई।
इस अवसर पर पशु पोषण विभाग के अध्यक्ष डॉ. सज्जन सिहाग ने किसानों व पशुपालकों को अच्छी नस्ल के पशु रखने के साथ उनके उचित प्रबंधन व वैज्ञानिक तरीके से पशु आहार खिलाने का आह्वान किया। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों को बताया कि सूखे चारे में गेहंू के भूसे के अलावा धान की पराली को भी खिलाया जा सकता है। इससे पशु का राशन सस्ता हो जाएगा। इसके साथ किसान अपने पशुओं की दूध उत्पादकता व गुणवत्ता बढ़ाने के लिए पशुओं को पूरे वर्ष मौसमी हरा चारा खिलाना चाहिए। उन्होंने सान्ध्र मिश्रण में अनाज, खली, चौकर, बिनौला, खनिज मिश्रण व नमक मिलाने की भी सलाह दी। ऐसा करने से पशु स्वस्थ रहता है, शारीरिक बढ़ोतरी होती है व उचित उम्र में गर्मी के लक्ष्ण दिखते हैं। उन्होंने पशुओं को 60 ग्राम खनिज मिश्रण प्रतिदिन खिलाने की पुरजोर सिफारिश की ताकि पशुओं की हड्डियां मजबूत हो, प्रजनन दर में सुधार के साथ बांझपन व बार-बार प्रजनन से बचाव हो सके। उन्होंने कहा ब्यांत के समय बछड़ी/कटड़ी को खीस एक घंटे के अंदर अवश्य खिला देनी चाहिए।
उपरोक्त परियोजना के वैज्ञानिक डॉ. आरएस श्योराण ने बरसीम, जई, ज्वार व मक्का के हरे चारे के उत्पादन बारे विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा हरे चारे की गुणवत्ता में सुधार के लिए चारे की फसल में फास्फोरस वाली खादों को अवश्य प्रयोग करें। कार्यक्रम में चिड़ोद व पायल गांव के लगभग 150 किसानों ने भाग लिया। कार्यक्रम में उपस्थित पशुपालकों को 20 किलोग्राम खनिज मिश्रण भी परियोजना के तहत दिया गया। कार्यक्रम के आयोजन में डॉ. अनिल कुमार व चांदी राम का महत्वपूर्ण योगदान रहा।