चंदन साहित्य मंच ने किया ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन
हिसार,
हिसार की साहित्यिक संस्था ‘चंदन साहित्य मंच’ के तत्वावधान में एक ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह गोष्ठी मंच के अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार महेन्द्र जैन के सान्निध्य में सम्पन्न हुई। मंच की उपाध्यक्ष गजलकारा ऋतु कौशिक ने गोष्ठी की अध्यक्षता की और महासचिव नीरज कुमार मनचंदा ने सभी प्रतिभागी कलमकारों का धन्यवाद किया।
पूनम मनचंदा ने मधुर स्वरों में सरस्वती वंदना के साथ शुरू कर मंच संचालन किया। कवयित्री रजनीश सैनी ने अपनी कविता ‘उलझी दुनिया को पाने की जिद करो, जो न हो अपना उसे अपनाने की जिद करो’ सुनाकर वाह वाही पायी। नवोदित कवयित्री रिया नागपाल ने इश्क पर ‘रात के सपनो में समा जाते हैं वो, हमारे दिल पर कफ्र्यू लगा जाते हैं वो’ सुनाकर तालियां बटोरी। कवयित्री दिव्या कालड़ा ने ‘नई जिंदगी नया सवेरा जागना तो होगा, कठिन भले हों रास्ते पर चलना तो होगा’ सुनाकर समां बांध दिया। कवयित्री सुनीता महतानी ने जिंदगी से जुड़ी एक बेहतरीन रचना सुनाई। कवयित्री करुणा मुंजाल की शानदार कविता कुछ इस प्रकार थी ‘आईना कोई ऐसा बना दे खुदा, जो इंसान का चेहरा नहीं किरदार दिखा दे।’ कवयित्री गीतांजलि ने बादल के आने पर दिल के उद्गार कुछ यूँ व्यक्त कर ‘दिल बेकरार था, महीनों से इंतजार था’ सराहना पाई। कवयित्री अरुणा आहूजा ने जीवन में परिवर्तन के लिये तैयार रहने पर बल देती रचना ‘बदली दुनिया, बदला आलम, बदला हर इक साल’ सुना प्रशंसा पायी। वरिष्ठ कवयित्री डॉ दविना अमर ठकराल ने कठिन परिश्रम और हौसले से जिंदगी की जद्दोजहद जीतने की पंक्तियाँ ‘जिंदगी की जद्दोजहद से यूं न हारिये’ सुनाकर सभी में नवउर्जा का संचार किया। कवियत्री पूनम मनचंदा जी ने ‘चाय दिवस’ की चर्चा कर ‘चाय की है परम्परा, देने को सत्कार। चाय से ही खूब सजे, रिश्तों का बाजार।’ सरीखे दोहे तरन्नुम में सुना सबका मन जीत लिया। वरिष्ठ कवि पुरषोत्तम शर्मा ने निराले हरियाणे पर अपनी रचना ‘जहाँ हुआ हरि का आना, कहते हैं उसे हरियाना। जहाँ राग, रागनी गाना, कहते हैं उसे हरियाना।’ प्रस्तुत कर अपनी अलग छाप छोड़ी। डॉ. मीरा सिवाच ने ख्वाबों की ताबीर को सच करती एक खूबसूरत रचना की प्रस्तुति दे तालियाँ पाईं।
मंच के महासचिव नीरज कुमार मनचंदा ने अपनी गजल ‘लग गया है टैग हर रिश्ते पे अब, कीमतों से आंकता संसार है।’ सुनाकर तारीफ पाई। गोष्ठी की अध्यक्षता कर रही गजलकारा ऋतु कौशिक ने ‘नाम लिखा जिस रेत पे तुमने शिद्दत से, उस को दरिया पल भर में खा जायेगा’ सरीखे शे’र सुनाकर काव्य गोष्ठी को उत्कर्ष पर पहुंचा दिया।