हिसार

ऋषि नगर निवासियों की बढ़ेंगी समस्या, रोडवेज का बढ़ेगा किराया, मालामाल होंगे चंद लोग

रोडवेज का पिछला गेट खुलवाने की योजना पड़ेगी विभाग पर भारी

रास्ते में आ रहे अनेक पुराने पेड़, तीन शमशान घाट, जिद के आगे सब सुझाव दरकिनार

रोडवेज अधिकारियों व तकनीकी विशेषज्ञों के सारे सुझाव रद्दी में डाले, केवल जिद ही सर्वोपरि

हिसार, (राजेश्वर बैनीवाल)।
हिसार बस अड्डे की कर्मशाला की दीवार तोडक़र पीछे की ओर से रास्ता निकाले जाने की योजना रोडवेज पर भारी पडऩे वाली है। ऋषि नगर की 11 गलियों की निकासी, रास्ते के तीन शमशान घाट, अनेक पुराने पेड़ व दुर्घटना की संभावना जताने के सभी सुझाव रद्दी की टोकरी में डालकर सीएम घोषणा को पूरा करवाने की जिद शहर के मंत्री पर हावी है। ऐसे में यदि कोई भी दुर्घटना होती है तो उसका जिम्मेवार कौन होगा, यह सबसे बड़ा सवाल है।
जी हां, रोडवेज प्रशासन ने आरटीआई में जो सूचना दी है, उसके अनुसार बस अड्डे का पिछला गेट निकलने सेे न केवल दुर्घटनाएं होने की आशंका हर समय बनी रहेगी, बल्कि ऋषि नगर की 11 गलियों की निकासी इस तरफ से होने के कारण उनको भी आए दिन परेशानी आना निश्चित है। शहर के एक नागरिक द्वारा बस अड्डे के कर्मशाला की दीवार तोडक़र पीछे की तरफ से गेट निकालने की योजना की पूरी जानकारी आरटीआई के तहत मांगी गई तो अनेक चौंकाने वाले तथ्य सामने आए, जिनका निष्कर्ष यही है कि शहर के मंत्री पर पिछली तरफ से दरवाजा निकलवाने की जो जिद हावी है, उसमें दुर्घटनाओं की आशंका व जनता की परेशानी के अलावा कुछ भी नहीं है। आरटीआई से मिली जानकारी में सामने आया है कि 24 नवम्बर 2016 को विभाग के जेएसटीसी सतपाल शर्मा ने हुई बैठक में अपने सुझाव देते हुए स्पष्ट लिखा है कि प्रस्तावित पश्चिम दिशा में कर्मशाला के पीछे से मार्ग की चौड़ाई केवल 10 मीटर (30 फुट) है और इसके दोनों ओर आबादी वाला क्षेत्र है, इसलिए इस रास्ते की चौड़ाई बढ़ाया जाना अब या भविष्य में संभव नहीं है। यदि बसों का संचालन इस मार्ग से किया जाता है तो ये दुर्घटना संभावित मार्ग हो जाएगा और इस पर हमेशा यातायात रूकावट की स्थिति बनी रहेगी। उन्होंने यह भी लिखा है कि इस प्रस्तावित मार्ग के दोनों तरफ शमशान घाट है, जिसके कारण प्रस्तावित सडक़ पर वाहनों के पार्किंग से जाम की स्थिति बन सकती है।
आरटीआई के अनुसार अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह प्रस्तावित मार्ग एक आबादी वाला क्षेत्र है तथा सडक़ की चौड़ाई मात्र 10 मीटर है। इस मार्ग से बसों के अतिरिक्त अन्य वाहन भी चलेंगे, जिससे यहां आए दिन जाम की स्थिति बन सकती है। उनके अनुसार प्रस्तावित मार्ग पर कई पेड़ लगे हैं जो काफी पुराने भी हैं। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में निष्कर्ष दिया कि फिलहाल बसों के आवागमन के लिए जो रास्ता है, उस पर यातायात जाम का मुख्य कारण रेहडिय़ां व ऑटो रिक्शा खड़े होना है। यदि रेहड़ी व ऑटो रिक्शा को नियंत्रित किया जाए तो समस्या का समाधान हो सकता है।
खास बात यह है कि इस संबंध में मई माह में रोडवेज जीएम राहुल मित्तल की अध्यक्षता में हुई बैठक में लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने जो सुझाव दिए वे केवल अपनी जिम्मेवारी दूसरों पर डालने वाले दिखाई दिए। लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने अपने सुझावों में कहा कि बसों के ट्रायल के दौरान ट्रैफिक पुलिस को भी शामिल किया जाए क्योंकि प्रस्तावित मार्ग पर 11 गलियां खुलती है और तीन शमशान घाट भी है, ट्रेफिक पुलिस के शामिल होने से संभावित दुर्घटना से बचा जा सकेगा। इसमें अधिकारियों ने कहा कि नियमित रूप से इस रोड से बसों का संचालन नया एलिवेटिड रोड बनने के बाद ही संभव हो पाएगा। उनका सुझाव था कि ट्रायल के दौरान चालकों को बसों की गति धीमी रखने के निर्देश दिए जाए। इसके अलावा लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने कई अन्य सुझाव भी दिए जो न केवल बचकाने साबित हुए बल्कि यदि ये सिरे चढ़ गए तो आगामी समय में ऋषि नगर वासियों को समस्या से जूझने के लिए तैयार रहना चाहिए।
हाल ही में आरटीआई द्वारा दी गई सूचना का अवलोकन करने पर यही सामने आता है कि मुख्यमंत्री की घोषणा को पूरा करवाने के लिए शहर के विधायक ऐसी जिद पूरी करने पर अड़े हैं, जिससे जनता को फायदे की जगह नुकसान होगा, दुर्घटनाएं बढऩे की संभावना अधिकारी जता चुके हैं वहीं किलोमीटर बढऩे से किराये में जो बढ़ोतरी होगी, उससे यात्रियों की जेब पर डाका पड़ेगा। रोडवेज व लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के सुझावों को दरकिनार करके जिस अफरा-तफरी बस अड्डे का पिछला गेट तैयार करवाया जा रहा है, उसको लेकर चर्चा है कि ऐसा कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। चर्चा है कि यह गेट निकलते ही सेक्टर 14 व साथ लगती प्रोपर्टी के दाम बढ़ेंगे, जिससे चंद लोग मालामाल होंगे, यात्रियों की जेब पर भार पड़ेगा और ऋषि नगर निवासी हर समय दुर्घटना के साये में रहेंगे।

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