नई दिल्ली,
सोशल मीडिया पर मौजूद लोगों की बड़ी तादाद मानती है कि भारत की मूडीज रेटिंग सुधरने से साफ हो गया है कि देश की अर्थव्यवस्था को मैनेज करने के लिहाज से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह से बेहतर हैं। इंटरनैशनल रेटिंग्स एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भारत का सॉवरन बॉन्ड रेटिंग करीब 14 साल में पहली बार अपग्रेड कर दी। एजेंसी ने नरेंद्र मोदी सरकार के सांगठनिक सुधारों का हवाला देकर कहा कि इनसे इकनॉमिक ग्रोथ को तेजी मिलेगी और कर्ज का बोझ कम होगा। स्कूली प्रतियोगिता.. प्ले ग्रुप से दसवीं तक विद्यार्थी और स्कूल दोनों जीतेंगे सैंकड़ों उपहार.. अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे
मूडीज ने पिछली बार भारत की रेटिंग तत्कालीन अटल बिहारी सरकार के वक्त की थी। उनके बाद मनमोहन सिंह दो बार देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन तब मूडीज ने भारत की रेटिंग में कोई सुधार नहीं की थी। इकनॉमिक टाइम्स ऑनलाइन की ओर से किए गए फेसबुक पोल में 69% लोगों ने कहा कि मूडीज रेटिंग अपग्रेड के बाद पीएम मोदी अपने पूर्ववर्ती मनमोहन पर बेहतर साबित हुए हैं जबकि बाकी 31% का मानना है कि मनमोहन बेहतर पीएम थे। फेसबुक पोल में करीब 3 लाख लोगों ने हिस्सा लिया। जीवन आधार न्यूज पोर्टल को आवश्यकता है पत्रकारों की…यहां क्लिक करे और पूरी जानकारी ले..
#MoodysIndiaUpgrade | Does #India's rating upgrade by #Moody's after 14 yrs mean #Modi is better than #Manmohan?
— EconomicTimes (@EconomicTimes) November 17, 2017
ट्विटर पर किए गए इसी पोल में 74% लोगों ने मोदी को बेहतर करार दिया जबकि 20% लोगों ने कहा कि मनमोहन बेहतर थे। हालांकि 6% लोगों ने कहा कि वे इस मामले में कुछ नहीं कह सकते। ट्विटर पोल में करीब 3,500 लोगों ने हिस्सा लिया। दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच बहुत विरोधाभास है। एक तरफ मनमोहन सिंह चोटी के अर्थशास्त्री रहे हैं जिन्होंने दो दशक पहले पीवी नरसिंहा राव की सरकार में बतौर वित्त मंत्री देश में उदारीकरण का आगाज किया था। दूसरी ओर मोदी सामान्य रूप से शिक्षित, स्वनिर्मित व्यक्ति हैं जो गरीबी से संघर्ष करते हुए ऊपर उठे। वह करीब एक दशक तक गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर काम करने पर खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं। वह गुजरात में किए कामों को विकास का ‘गुजरात मॉडल’ बताते हैं। मोदी हार्वर्ड पर हार्ड वर्क को तवज्जो देते हैं। इससे उनका मतलब है कि हालात सुधारने की इच्छा के सामने अर्थव्यवस्था की विशेषज्ञता का कोई महत्व नहीं। नौकरी करना चाहते है, तो यहां क्लिक करे।
इधर, मनमोहन सिंह पीएम मोदी के मुखर आलोचक रहे हैं। उन्होंने नोटबंदी को विशाल कुप्रबंधन और संगठित लूट बता चुके हैं। उन्होंने नोटबंदी से अगली तिमाही में जीडीपी वृद्धि की रफ्तार 2% घटने की भविष्यवाणी की थी और ऐसा ही हुआ था।
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