फतेहाबाद

सर्द रातों में जज्चा—बच्चा को अस्पताल प्रशासन ने जमीन पर सोने को कर दिया मजबूर

फतेहाबाद (साहिल रुखाया)
फतेहाबाद के नागरिक अस्पताल को सुर्खियों में बने रहने की आदत पड़ गई है। इसी कड़ी में जनाना वार्ड में मां—बेटी को जमीन पर सोने को मजबूर करने का मामला सामने आया है। जानकारी के मुताबिक, ढ़ाणी सांचला निवासी सुनीता देवी की दिवाली वाले दिन घर पर ही नॉर्मल डिलिवरी हुई। डिलिवरी के बाद बच्ची की कमजोरी को देखते हुए जच्चा व बच्चा को तुरंत भूना के सरकारी अस्पताल में ले जाया गया। भूना अस्पताल से मां—बेटी को फतेहाबाद के नागरिक अस्पताल में रैफर कर दिया गया। जीवन आधार नवंबर माह प्रतियोगिता.. प्ले ग्रुप से दसवीं तक विद्यार्थी और स्कूल दोनों जीतेंगे सैंकड़ों उपहार.. अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे
अस्पताल प्रशासन ने बैठाया जमीन पर

गरीब मां के साथ अमानवीय व्यवहार।

यहां आने पर अस्पताल प्रशासन ने दोनों का उपचार आरंभ कर दिया। 4 दिनों तक जच्चा—बच्चा को एक बेड भी दिया गया, लेकिन चार दिन बाद उनसे बेड खाली करवा लिया गया और एक कोने में फर्श पर बैठा दिया गया। तब से लेकर अब तक सुनीता और उसकी बेटी अस्पताल में दाखिल है। लेकिन बेड के स्थान पर वार्ड के फर्श पर ही बैठी रहती है और रात को अपनी नवजात बेटी के साथ जमीन पर सोना पड़ता है। सुनीता ने बताया कि अस्पताल प्रशासन ने बेड खाली न होने की बात कहते हुए उससे बेड खाली करवाकर जमीन पर बैठने को कहा था। लेकिन 2 बेड यहां खाली पड़े है, लेकिन इसके बाद भी उन्हें उस पर ना ही तो बैठने देते है और ना ही सोने देते है। समाचार सहायक/पत्रकारों के लिए सबसे बड़ा अवसर…जीवन आधार न्यूज पोर्टल से जुड़े—जीवन को आनंदमयी बनाये…
जनाना विभाग में खाली पड़ा बेड।

गद्दा लो किराए पर
सुनीता ने बताया कि सर्दी होने के कारण फर्श काफी ठंड़ा हो जाता है। इस बारे में जब उसने अस्पताल प्रशासन से बात की तो उन्होंने किराए पर गद्दा लाकर बिछाने की राय दी। अब वो अस्पताल परिसर में बनी कैंटिन से 20 रुपए रोजाना के रेट पर किराए पर गद्दा लाकर बिछाती है। सुनीता का कहना है कि गरीबी के चलते उसे और उसकी बेटी को पौष्टिक खाना नहीं मिल पाने से कमजोरी है और अब रोजाना 20 रुपए उसके गद्दे के लग रहे है, ऐसे में सरकार को उनकी मदद करनी चाहिए। नौकरी करना चाहते है, तो यहां क्लिक करे।
ठेका कैंटिन का और काम बिस्तर हाउस का
अस्पताल परिसर में किराए पर गद्दा मिलना बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार की तरफ इशारा करता है। अस्पताल प्रशासन ने कैंटिन संचालक को कैंटिन चलाने का ठेका दिया है, लेकिन वो सरेआम बिस्तर हाउस चला रहा है। ऐसे में संदेह है कि अस्पताल प्रशासन से मिलकर कैंटिन संचालक मरीजों से बेड खाली करवाता है, ताकि उसके गद्दे किराए पर चढ़ सके।

क्या बोले एसएमओ
इस बारे में जब एसएमओ डा.धहनीवाल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि असल में बच्चे को एडमिट किया जाता है, मां को नहीं। लेकिन ऐसा मामला उनकी संज्ञान में नहीं था, अब वे मामले की जांच करवायेंगे। किसी भी मरीज को जमीन पर नहीं रखा जा सकता है। मामले में जो भी दोषी मिला, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी।

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