धर्म

ओशो : पत्थर

माइकल एन्जिलो एक रास्ते से गुजरता था। और उसने संगमरमर के पत्थर दुकान के पास एक बड़ा संगमरमर का पत्थर पड़ा देखा- अनपढ़। राहके किनारे उसने दुकानदार से पूछा कि और अब पत्थर सम्हाल कर रखे गये हैं भीतर रखे गये हैं, यह पत्थर बाहर क्यों डला है?
उसने कहा: यह पत्थर बेकार है। इसे कोई मूर्तिकार खरीदने को राजी नहीं है। आपकी इसमें उत्सुकता है?
माइकल एन्जिलों ने कहा: मेरी उत्सुकता है। उसने कहा:आप इसको मुफ्त ले जायें। यह टले यहां से तो खाली जगह हो। बस इतना ही काफी है कि यह टल जायें यहां से। यह आज दस वर्ष से पड़ा है, कोई खरीददार नहीं मिलता। आप ले जाओ। कुछ पैसें देने की जरूरत नहीं है। अगर आप कहो तो आपके घर तब पहूंचाने का काम भी मैं कर देता हूं।जीवन आधार प्रतियोगिता में भाग ले और जीते नकद उपहार
दो वर्ष बाद माइकल एंजिलो ने उस पत्थर के दुकानदार को आंमत्रित किया कि मैंने एक मूर्ति बनायी है, तुम्हें दिखाना चाहूंगा। वह तो उस पत्थर की बात भूल ही गया था। मूर्ति देखकर तो दंग रह गया, ऐसी मूर्ति शायद कभी बनायी नहीं गयी थी। मरियम जब जीसस की सूली से उतार रही है, उसकी मूर्ति है। मरियम के हाथों में जीसस की लाश है। इतनी जींवत है कि उसे भरोसा नहीं आया। उसने कहा: लेकिन पत्थर तुम कहां से लाये? इतना अद्भुत पत्थर तुम्हें कहां मिला? नौकरी की तलाश है..तो यहां क्लिक करे।
माइकल एंजिलों हंसने लगा। उसने कहा: यह वही पत्थर है, जो तुमने व्यर्थ समझकर दुकान के बाहर फेंक दिया था और मुझे मूफ्त में दे दिया था। इतना ही नहीं, मेरे घर तक पहूंचा दिया था।
वही पत्थर है। उस दूकानदार को तो भरोसा ही नहीं आया। उसने कहा:तुम मजाक करते होओगे। उसको कोई लेने को भी तैयार नहीं था, दौ पैसा देने को तैयार नहीं हुआ। तुमने उस पत्थर को इतनी महिमा, इतना रूप , इतना लावण्य दे दिया। तुम्हें पता कैसे चला कि यह पत्थर इतनी सुंदर प्रतिमा बन सकता है।जीवन आधार न्यूज पोर्टल के पत्रकार बनो और आकर्षक वेतन व अन्य सुविधा के हकदार बनो..ज्यादा जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।
माइकल एंजिलो ने कहा: आंखे चाहिए। पत्थरों के भीतर देखने वाली आंखे।
अधिकतर लोगों के जीवन अनपढ़ रह जाते है, दौ कोड़ी उनका मूल्य होता है। मगर वह तुम्हारे कारण । तुमने कभी तराश नहीं। तुमने अभी छैनी नहीं उठाई। तुमने अभी अपने को गढ़ा नहीं। तुमने कभी इसकी फिक्र की न की कि मेरा जीवन जो अभी अनपढ़ पत्थर है, एक सुंदर मूर्ति बन सकती है। इसके भीतर छिपा हुआ काइस्ट प्रगट हो सकता है। इसके भीतर छिपा हुआ बुद्ध प्रगट हो सकता है।
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Jeewan Aadhar Editor Desk