धर्म

स्वामी राजदास :संत की इच्छा

एक संत हुए जो बड़े ही सदाचारी और लोकसेवी थे। उनके जीवन का मुख्य लक्ष्य परोपकार था।एक बार उनके आश्रम के निकट से देवताओं की टोली जा रही थी। संत आसन जमाये साधना में लीन थे। आखें खोली तो देखा सामने देवता गण खड़े हैं। संत ने उनका अभिवादन कर उन सबको आसन दिया। उनकी खूब सेवा की। नौकरी की तलाश है..तो यहां क्लिक करे।
देवता गण उनके इस व्यवहार और उनके परोपकार के कार्य से प्रसन्न होकर उनसे वरदान मांगने को कहा।
संत ने आदरपूर्वक कहा -हे देवगण! मेरी कोई इच्छा नहीं है। आप लोगों की दया से मेरे पास सब कुछ है।
देवता गण बोले -आपको वरदान तो माँगना पड़ेगा ही क्योंकि हमारे वचन किसी भी तरह से खाली नहीं जा सकता।
संत बोले – हे देवगण ! आप तो सब कुछ जानते हैं, आप जो वरदान देंगें वह मुझे सहर्ष स्वीकार होगा।
देवगण बोले – जाओ! तुम दूसरों की भलाई करो, तुम्हारे हाथों दूसरों का कल्याण हो।
संत ने कहा – महाराज! यह तो बहुत कठिन कार्य है?
देवगण बोले – कठिन! इसमें क्या कठिन है?
संत ने कहा – मैंने आज तक किसी को भी दूसरा समझा ही नहीं है, फिर मैं दूसरों का कल्याण कैसे कर सकूँगा?
सभी देवतागण संत की यह बात सुन एक दूसरे का मुंह देखने लगे। उन्हें अब ज्ञात हो गया कि ये एक सच्चा संत हैं। देवों ने अपने वरदान को दुहराते हुए कहा – हे संत! अब आपकी छाया जिस पर पड़ेगी। उसका कल्याण होगा। जीवन आधार न्यूज पोर्टल के पत्रकार बनो और आकर्षक वेतन व अन्य सुविधा के हकदार बनो..ज्यादा जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।
संत ने आदर के साथ कहा – हे देव! हम पर एक और कृपा करें। मेरी वजह से किस- किस की भलाई हो रही है, इसका पता मुझे न चले, नहीं तो इससे उत्पन्न अहंकार मुझे पतन के मार्ग पर ले जायेगा। देवगण संत के इस वचन को सुन अभिभूत हो गए। परोपकार करने वाले संत के ऐसे ही विचार होते है।जीवन आधार प्रतियोगिता में भाग ले और जीते नकद उपहार

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, यदि परोपकार का यह विचार लोगों में आ जाए तो पूरे संसार में कहीं दु:ख नहीं होगा, कहीं गरीबी नहीं होगा, कही अभाव और अशिक्षा नहीं होगी। ऐसा नहीं है कि ऐसे लोग वर्तमान समय में नहीं हैं, ऐसे लोग अभी भी हैं जिन्होंने लोक कल्याण के बहुत सारे कार्य किया हैं और कर रहे हैं, लेकिन उनकी संख्या बहुत काम है। इसलिए जितना हो सके दूसरों की भलाई करनी चाहिए।
जीवन आधार बिजनेस सुपर धमाका…बिना लागत के 15 लाख 82 हजार रुपए का बिजनेस करने का मौका….जानने के लिए यहां क्लिक करे

Related posts

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—34

Jeewan Aadhar Editor Desk

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—47

Jeewan Aadhar Editor Desk

स्वामी राजदास : पाप और पुण्य

Jeewan Aadhar Editor Desk