नई दिल्ली,
जिंदा बच्चे को मृत बताने वाले दिल्ली के शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल का दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को लाइसेंस रद्द कर दिया है। राज्य सरकार के पास आई शुरुआती रिपोर्ट में मैक्स अस्पताल को दोषी पाया गया था।
सरकार ने इस रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए मैक्स अस्पताल का लाइसेंस रद्द कर दिया है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘नवजात बच्चे को मृत बताने वाले शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल का लाइसेंस हमने कैंसल कर दिया है। यह लापरवाही स्वीकार्य नहीं थी।’
बता दें कि शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल में ऑपरेशन के जरिए एक 6 महीने की गर्भवती महिला वर्षा ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था। अस्पताल ने दोनों बच्चों को मृत बताकर ‘शवों’ को पॉलिथिन में लपेटकर परिजनों को सौंप दिया था। बाद में अंतिम संस्कार के लिए ले जाते वक्त परिजनों ने एक बच्चे में हरकत देखी, जिसके बाद नवजात को एक दूसरे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया लेकिन कुछ दिन बाद उस नवजात की भी मौत हो गई। जीवन आधार प्रतियोगिता में भाग ले और जीते नकद उपहार
दिल्ली सरकार ने पूरे मामले की जांच के बाद अब अस्पताल का लाइसेंस रद्द कर दिया है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने पहले ही कहा था कि जांच में अगर अस्पताल दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। मृत बच्चे के परिजनों का यह भी आरोप है कि अस्पताल ने इलाज के नाम पर बहुत ही ज्यादा रकम की मांग की थी। नौकरी की तलाश है..तो यहां क्लिक करे।
We have cancelled the license of #MaxHospital Shalimar Bagh, the negligence in the newborn death case was unacceptable: Delhi Health Minister Satyendra Jain pic.twitter.com/vbUlT6PGB2
— ANI (@ANI) December 8, 2017
परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने अस्पताल के खिलाफ आपराधिक मामला भी दर्ज किया है, लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। मृत जुड़वा बच्चों के पिता आशीष ने अपनी शिकायत में बताया है कि मैक्स अस्पताल ने उनकी 6 महीने की गर्भवती पत्नी वर्षा के जुड़वां गर्भस्थ शिशुओं के बचने की 10-15% ही संभावना बताई थी और कहा 35,000 रुपये की कीमत के 3 इंजेक्शन लगवाने की सलाह दी थी ताकि गर्भ के बचने की संभावना को बढ़ाया जा सके। इंजेक्शन लगाए जाने के बाद डॉक्टरों ने कहा कि शिशुओं के बचने की संभावना 30 फीसदी तक पहुंच गई है। आशीष ने यह आरोप भी लगाया कि बच्चों को खतरे से बाहर लाने के लिए नर्सरी में रखा जाएगा जिसपर 50 लाख रुपये तक का खर्च आएगा।
आशीष द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर के मुताबिक, ‘मैक्स ने शिशुओं के इलाज में लापरवाही बरती, इलाज ठीक से नहीं किया गया। एक बच्चा जिंदा था फिर भी उसे मृत बताकर पार्सल बनाकर हमें सौप दिया गया।’ आरोपी डॉक्टरों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर परिजनों और सैकड़ों स्थानीय लोगों ने लगातार कुछ दिनों तक मैक्स हॉस्पिटल के बाहर धरना भी दिया था।
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