धर्म

ओशो : पाखंड

पंडित, पुजारी ,पुरोहित, मौलवी, पादरी लकींरे पीटतें रहते है। लकीरों पर लकीरें पीटते रहते हैं। लकीरों को सजाते रहते हैं,सवारते रहते हैं। लकीरों का शृंगार करते रहते हैं। और बड़ी कुशलता से। सदियों-सदियों में वे बड़े कुशल हो गये हैं। बाल की खाल निकालते रहते है और कुछ भी नहीं। और लाश पड़ी रह गयी है उसमें से बदबू उठ रही है।
जीवन आधार प्रतियोगिता में भाग ले और जीते नकद उपहार
देखते नहीं तुम, सभी धर्मो से बदबू हुई? नहीं तो हिन्दू- मुसलमान लड़ता क्यों , अबर बदबू न उठती होती? धर्म के नाम पर जितना खून हुआ है, किसी और चीज के नाम पर हुआ है? धर्म के नाम पर जितना अनाचार हुआ है, किसी और चीज के नाम पर हुआ है? धर्म के नाम पर आदमी लड़ता ही तो रहा है। प्रेम की बातें चलती रहीं और तलवारों पर धार रखी जाती रही। प्रेम के गीत गाये जाते रहे और गर्दन काटी जाती रहीं। धर्म के नाम पर कितना पाखंड हुआ है। अब भी जारी है इस पांखड के कारण ही मनुष्यता धार्मिक नहीं हो रही है। नौकरी की तलाश है..तो यहां क्लिक करे।

जब तक झूठ को तुम झूठ की तरह न जानो, सच को तुम सच की तरह देखने में समर्थ न हो पाओगे।
पंडित-पुरोहित से मुक्त होना जरूरी है। उससे मुक्त होकर ही तुम्हें धर्म की पहली दफा थोड़ी-थोड़ी प्रतीति होना शुरू होगी। छोड़ो-पुजारी को, चांद -तारों से दोस्ती करो। फूलों से मुलाकात लो। नदियों-सागरों से पूछो। यह आकाश ज्यादा जानता है । इस आकाश के नीचे पड़ जाओ शान्त होकर। इस आकाश अपने भीतर उतरने दो। यह कोयल की आवाज,ये पक्षियों के गीत-इनमें कहीं धर्म ज्यादा जीवंन है।
जीवन आधार बिजनेस सुपर धमाका…बिना लागत के 15 लाख 82 हजार रुपए का बिजनेस करने का मौका….जानने के लिए यहां क्लिक करे

Related posts

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—79

Jeewan Aadhar Editor Desk

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—304

Jeewan Aadhar Editor Desk

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से— 451

Jeewan Aadhar Editor Desk