धर्म

ओशो : प्रेम का अन्त करने का बड़ा अद्भुत उपाय

एक सम्राट एक गरीब स्त्री के प्रेम में पड़ गया। सम्राट था। स्त्री इतनी गरीब थी कि खरीदी जा सकती थी, कोई दिक्कत न थी। उसने स्त्री को बुलाया और बाप को बुलाया, और कहा: जो तुझे चाहिये ले लो खजाने से, लेकिन यह लडक़ी मुझे दे दे। मैं इसके प्रेम में पड़ गया हूं। कल मैं घोड़े पर सवार निकला था,तब मैंने इसे कुंए पर पानी भरते देखा। बस तब से मैं सो नहीं सका हूं।
बाप तो बहुत प्रसन्न हुआ,लेकिन बेटी एकदम उदास हो गयी। उसने कहां, मुझे क्षमा करें। आप कहेंगे तो आपके राजमहल में आ जाऊंगी, लेकिन मेरा किसी से प्रेम है। मैं आपकी पत्नी भी हो जाऊंगी, लेकिन यह प्रेम बाधा रहेगा। मैं आपको प्रेम न कर पाऊंगी।
सम्राट विचारशील व्यक्ति था। उसने सोचा कि यह तो कुछ सार न होगा। कैसे प्रेम हो मुझसे इसका? किससे इसका प्रेम है,पता लगवाया गया। एक साधारण आदमी। सम्राट बड़ा हैरान हुआ कि मुझे छोड़ कर उससे इसका प्रेम है। लेकिन प्रेम तो हमेशा बेबूझ होता है। उसने अपने वजीरों को पूछा कि मैं क्या करूं कि यह प्रेम टूट जायें? नौकरी की तलाश है..तो यहां क्लिक करे।
तुम चकित होओगे,वजीर ने जो सलाह दी,वह बड़ी अद्भुत थी। तुम मान ही न सकोगे कि यह सलाह कभी दी गयी होगी। क्योंकि यह सलाह… यह कहानी पुरानी है,फ्रायड से कोई हजार साल पुरानी। फ्रायड यह सलाह दे सकता था। मनोविज्ञान यह सलाह दे सकता है अब। और मनोविज्ञान भी सलाह देने में थोड़ा झिझकेगा। सलाह वजीरों ने यह दी कि इन दोनों को नग्र करके एक खंभे से बांध दिया जाये।जीवन आधार प्रतियोगिता में भाग ले और जीते नकद उपहार
सम्राट ने कहा:इससे क्या होगा? यही तो उनकी आकांक्षा है कि एक-दूसरे की बाहों में बंध जायें।
उन्होंने कहा: आप फिक्र न करें। बस फिर उनको छोड़ो न जाये, बंधे रहने दिया जाये।
उनको आलिगन में बाधंकर नग्र एक खंभे से बांध दिया गया।
अब तुम जरा सोचो, जिस स्त्री से तुम्हारा प्रेम है, फिर वह कोई भी क्यों न हो, वह इस जगत की सबसे सुंदरी क्यों न हो, या किसी पुरूष से तुम्हारा प्रेम है, वह मिस्टर युनिवर्स क्यों न हो, इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता-कितनी देर आलिगन कर सकोगे? पहले तो दोनों बड़े खुश हुए,क्योंकि समाज की बाधाओं के कारण मिल भी नहीं पाते थे। जातियां अलग थीं, धर्म अलग थे, चोरी-छिपे कभी यहां-वहां थोड़ी देर को गुफ्तगू कर लेते थे थोड़ी-बहुत। एक-दूसरे के आलिगन में नग्र। पहले तो बड़े आंनदित हुए,दौडक़र एक-दूसरे के आंलिगन में बंधे गये। लेकिन जब रस्सियों से उन्हें एक खंभे से बांध दिया गया तो कितनी देर सुख रहता है। कुछ ही मिनट बीते होंगे कि वे घबड़ाने लगे कि अब अलग कैसे हों, अब भिन्न कैंसे हों, अब छूटें कैसे? मगर वे बंधे ही रहे।जीवन आधार न्यूज पोर्टल के पत्रकार बनो और आकर्षक वेतन व अन्य सुविधा के हकदार बनो..ज्यादा जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।
कुछ घंटे बीते और तब और उपद्रव शुरू हो गया। मलमूत्र का विसर्जन भी हो गया। गंदगी फैल गयी। एक-दूसरे के मुंह से बदबू भी आने लगी। एक-दूसरे का पसीना भी। ऐसी घबड़ाहट हो गयी। और चौबीस घंटे बंधे रहना पड़ा। फिर जैसे ही उनको छोड़ा, कहानी कहती है फिर वे ऐसे भागे एक-दूसरे से,फिर दुबारा कभी एक-दूसरे का दर्शन नहीं किया। वह युवक तो वह गांव ही छोडक़र चला गया।
यह प्रेम का अन्त करने का बड़ा अद्भुत उपाय हुआ,लेकिन बड़ा मनोवैज्ञानिक।
तुम देखते हो,पश्चिम में प्रेम उखड़ता जा रहा है,टूटता जा रहा है। कारण? स्त्री और पुरूष के बीच कोई व्यवधान नहीं रहा है, इसलिये प्रेम टूट रहा है। स्त्री और पुरूष इतनी सरलता से उपलब्ध नहीं रहा पश्चिम में, तो पति और पत्नी दोनों रह गये हैं एक मकान में अकेले। जब मिलना हो मिले, जो कहना हो कहें,जितनी देर बैठना हो पास ,बैठे-कोई रूकावट नहीं,कोई बाधा नहीं। जल्दी ही चुक जाते हैं। जल्दी ही सुख दुख में तबदील हो जाता है।
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Jeewan Aadhar Editor Desk

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