धर्म

स्वामी राजदास : कर्म का फल

एक आदमी का पूरा परिवार गुरुद्वारे जाकर गुरु की महान सेवा किया करता था। उस परिवार में एक लड़का जो कि दोनों पैरों से अपाहिज था, वह भी वहाँ बैठे-बैठे बहुत सेवा किया करता था। सेवा करते करते बरसों बीत गए उसका परिवार यह सोचता था कि हम सब गुरुद्वारे जा कर इतनी महान सेवा रोज किया करते हैं, फिर हमारे परिवार में यह बच्चा ऐसे क्यों हुआ, इसका क्या दोष था। एक दिन गुरु पूर्णिमा के दिन सत्संग चल रहा था। हजारों लाखों श्रद्धालुओं के बीच उस अपाहिज पुत्र के पिता ने गद्दी पर बैठे हुए गुरु से एक सवाल किया जय गुरु देव हम सब इतनी गुरुद्वारे में सेवा करते हैं कभी किसी के बारे में बुरा नहीं सोचते हैं ना ही किसी का बुरा करते हैं फिर ऐसा क्या गुनाह हुआ जो हमारा बच्चा अपाहिज पैदा हुआ?? फिर गुरु ने जवाब दिया वैसे तो यह बात बता नहीं सकते थे, पर इस समय तूने हजारों लाखों संगत के बीच में यह सवाल पूछा है,अब अगर मैंने तेरे बात का उत्तर नहीं दिया तो हजारो लाखो संगत का विश्वास डामाडोल हो जाएगा।
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इसलिए पूछता है तो सुन। यह जो बच्चा हैं जो दोनों टांगों से बेकार है, पिछले जन्म यह एक किसान का बेटा था। रोज खेत में अपने पिता को दोपहर में भोजन का टिफिन खेत में देने जाया करता था। एक दिन इसकी मां ने इसे दोपहर में 11:00 बजे खाना लगा कर दिया कि बेटा खाना खाकर पापा को टिफिन दे कर आ। इसकी मां ने खाना परोस कर थाली में रखा कि इतने में इसके किसी दोस्त ने आवाज लगाई तो यह खाना वही छोड़ कर अपने दोस्त से बात करने बाहर चला गया। नौकरी की तलाश है..तो यहां क्लिक करे।
इतने में एक कुत्ता घर में घुस आया और उसने थाली में मुंह डाला और रोटी खाने लगा। लडका जैसे ही घर में वापिस आया और कुत्ते को थाली में मुंह डालता हुआ देखकर पास ही में एक लोहे का बड़ा सा डंडा पड़ा हुआ था इसने यह भी नहीं सोचा कि खाना तो झूठा हो चुका है बिना सोचे समझे उस कुत्ते की दोनों टांगों पर इतनी जोर से लोहे का डंडा मारा कि वह कुत्ता अपनी जिंदगी जब तक जिंदा रहा दोनों पैरों से बेकार हो कर घसीटते घसीटते जिंदगी जिया और तड़प तड़प कर मर गया। यह उसी कुत्ते की बद्दुआ का फल है जो इस जन्म में यह दोनों टांगों से अपाहिज पैदा हुआ है। पुत्र इस संसार में इंसान को अपने अपने कर्मों का फल भुगतना ही पड़ता है इस जन्म में अगर किसी की टांग तोड़ी है तो स्वाभाविक है कि अगले जन्म में अपनी टांग टूटना है। इसलिए जो भी कर्म करो सोच समझ कर करो और अच्छे कर्म करो कभी किसी का दिल न दुखाओ हमेशा सत्कर्म करो।
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