संयुक्त राष्ट्र,
अमेरिका को संयुक्त राष्ट्र में आज एक बड़ा झटका लगा है। येरूशलम पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले के खिलाफ यूएन में प्रस्ताव पास हो गया है। इस प्रस्ताव के समर्थन में भारत समेत 128 देशों ने वोट किया, जबकि महज 9 देशों ने इस प्रस्ताव के विरोध में वोट दिया। इस प्रस्ताव के पास होने से अमेरिका को अब अपना फैसला बदलना पड़ेगा। नौकरी की तलाश है..तो यहां क्लिक करे।
येरूशलम को इस्राइल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विवादास्पद फैसले पर भारत ने अंतिम समय तक सस्पेंस बनाए रखा था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने गुरुवार दोपहर को इस संबंध में भारत के रुख के सवाल पर संवाददाताओं से कहा कि मुझे लगता है कि मतदान होने तक का इंतजार करना चाहिए। आपको पता चल जाएगा कि हम किस दिशा में वोट करने जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र में मतदान से पहले ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि जो भी देश प्रस्ताव का पक्ष लेंगे, अमेरिका उस देश को दी जाने वाली आर्थिक मदद में कटौती कर देगा। ट्रंप की इस चेतावनी का वोटिंग में कोई असर नहीं दिखा, जिसके चलते प्रस्ताव के पक्ष में 128 वोट पड़ गए।
128 countries vote in favor of U.N. call for U.S. to withdraw decision to recognize Jerusalem as Israel's capital, 9 countries oppose: Reuters pic.twitter.com/qdWmz9nQer
— ANI (@ANI) December 21, 2017
सिर्फ 9 देशों ने ही प्रस्ताव का विरोध किया, जिनमें ग्वाटेमाला, होंडुरास, इजरायल, मार्शल आइलैंड्स, माइक्रोनेशिया, पलाउ, टोगो और अमेरिका है। 35 देशों ने इससे दूरी बनाए रखी।
इधर मतदान के फौरन बाद अमेरिका का गुस्सा भी दिख गया। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निकी हैले ने इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि अमेरिका इस दिन को याद रखेगा। हैले ने कहा कि एक संप्रभु देश के तौर पर अपने अधिकारों का इस्तेमाल करने की वजह से संयुक्त राष्ट्र महासभा में उस पर हमला हुआ है। अमेरिका ने साफ किया है कि येरूशलम में वे अपना दूतावास खोलेगा। जीवन आधार प्रतियोगिता में भाग ले और जीते नकद उपहार
ट्रंप के इस फैसले से अरब जगत में खलबली मच गई थी। कई देशों ने इसका खुलकर विरोध किया था। इस फैसले के चलते कई दिनों तक फलस्तीन में हिंसा फैल गई थी। कश्मीर में भी इस फैसले के विरोध में प्रदर्शन किया गया था।
ट्रंप के फैसले के बाद संयुक्त राष्ट्र के 15 सदस्यों ने आपात बैठक करते हुए इस मुद्दे पर विचार विमर्श किया था। बैठक के बाद पांच यूरोपीय देशों ने अपने संयुक्त बयान में कहा कि येरूशलम का स्टेटस इजराइल और फिलिस्तीन के बीच वार्ता के बाद तय किया जाना चाहिए।