हिसार

बजट हो जाता है साफ, मगर शहर में स्वच्छता नहीं दिख रही

हिसार (कुलश्रेष्ठ)
देशभर में स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर विभिन्न शहरों की रैकिंग का काम चल रहा है। हिसार शहर को इस सर्वेक्षण में टॉप 100 मेें लाने को लेकर आज निगम अधिकारी, पार्षद, सफाई कर्मचारी और शहर के विभिन्न सामाजिक संगठनों की संयुक्त बैठक का मधुबन पार्क में आयोजन किया गया। शहर को साफ-सुथरा रखने के लिए वही सुझाव और दलीलें दी गईं।
बैठक में उपस्थित सफाई कर्मचारियों की दबी जुबान पर एक बात बहुत महत्वपूर्ण थी कि शहर की सफाई के लिए निगम प्रशासन लाखों रुपए का बजट आने का दावा करता है। अधिकारी सफाई व्यवस्था के लिए बजट की कमी नहीं होने का दम भरते हैं, मगर विडम्बना है कि सफाई कर्मचारियों को सफाई के लिए पर्याप्त औजार ही नहीं मिल पा रहे। कर्मचारियों को झाड़ू तक नहीं मिल रहे और अधिकारी शहर को सफाई के नाम पर टॉप-100 पर लाने की बात कह रहे हैं। सफाईकर्मियों ने कहा कि जिस तरह प्रशासन ने पार्षदों से हस्ताक्षर करवाकर शहर को खुले में शौच-मुक्त करार दे दिया है, इसी तरह शहर को स्वच्छता का प्रमाण लेने के लिए भी पार्षदों एवं अन्य गणमान्यों से हस्ताक्षर करवा सकते हैं।

मधुबन पार्क में बैठक में उपस्थित गणमान्य लोग। (फोटो—एस.कुमार)

एक महीने तक पूरे शहर में करवाओ मुनादी : दीवान
बैठक के दौरान पार्षदों ने शहर को स्वच्छता की रैकिंग में टॉप-100 में लाने के लिए अधिकारियों से सुझाव मांगे गए। मौके पर उपस्थित पूर्व पार्षद एवं पार्षद प्रतिनिधि पंकज दीवान ने निगम आयुक्त को कहा कि आमजन को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए कम से कम एक महीने तक शहर की हर कॉलोनी और बाजार में मुनादी करवानी चाहिए। मुनादी के निगम का उद्देश्य और स्वच्छता के लाभ का जिक्र करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति साफ-सफाई पसंद करता है, मगर हर क्षेत्र में इसके लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध होने चाहिएं। उन्होंने कहा कि बाजारों में डस्टबिन की व्यवस्था होनी चाहिए।
री-यूज, रिड्यूस और री-साइकिल हो गंद : महाजन
नगर निगम के डिप्टी मेयर भीम महाजन ने इस दौरान कूड़े के वर्गीकरण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि निगम प्रशासन हर कॉलोनी और बाजार में ऐसी व्यवस्था करे कि लोगों के घरों से एवं दुकानों से निकलने वाला कूड़ा वर्गीकृत हो। इसके साथ ही निगम प्रशासन द्वारा वर्गीकृत हो चुके कूड़ेदान ही रखे जाएं। उन्होंने कहा कि इससे जा कूड़ा री-यूज और री-साइकिल हो सकता है, उसका उपयोग किया जाए और इसके साथ ही लोगों में ऐसी भावना जागृत करनी चाहिएं कि री-यूज एवं री-साइकिल न होने वाले सामान (पॉलीथीन, प्लास्टिक व अन्य) सामान का उपयोग कम से कम करें।
एसोसिएशन्स को भी साथ जोड़ें : पार्षद
बैठक में उपस्थित पार्षदों ने कहा कि निगम प्रशासन शहर की आवासीय कॉलोनियों तथा बाजारों की एसोसिएशन्स के साथ एक संयुक्त बैठक करे और उस बैठक में आमजन की शहर में स्वच्छता की रैकिंग लाने में भागीदारी को सुनिश्चित करे। पार्षद नरेन्द्र शर्मा ने कहा कि आमजन की समस्याओं को जानना बहुत जरूरी है। यदि आमजन सफाई व्यवस्था को लेकर सतर्क हो जाता है तो उसके पश्चात शहर को स्वच्छता सर्वेक्षण में टॉप-100 नहीं टॉप-10 में लाने को कोई नहीं रोक सकता।
मधुबन पार्क में बैठक में उपस्थित गणमान्य लोग। (फोटो—एस.कुमार)

शहर में सीवरेज की सिल्ट सफाई के नाम पर सबसे बड़ा धब्बा : राहत
बैठक के दौरान शहर के विजय नगर स्थित राहत समाजसेवी संस्था केे प्रधान कृष्ण लाल कामरा और उप-प्रधान सुशील जैन भी उपस्थित रहे। संस्था के दोनों पदाधिकारियों ने कहा कि शहर की हर कॉलोनी में कम से कम एक समाजसेवी संस्था के सक्रिय पदाधिकारी अवश्य रहते होंगे और यदि यह सदस्य सक्रिय भागीदारी निभाएं तो एक गली से कॉलोनी और एक कॉलोनी से वार्ड और फिर एक वार्ड से पूरा नगर निगम स्वच्छ होता जाएगा। इसके लिए निगम प्रशासन को विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ कर्तव्यनिष्ठा से काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पब्लिक हेल्थ द्वारा शहर की गलियों और मुख्य सड़कों पर बने सीवरेज से गंद तो निकाल दिया जाता है, मगर उस गंद को कई दिनों तक उठाया नहीं जाता। ऐसे में सीवर से निकाला गया गंद दोबारा वाहनों के आवागमन से सड़कों पर फैल कर सीवरेज में चला जाता है। उन्होंने कहा कि सीवर से निकाला गया यह सिल्ट शहर में स्वच्छता पर सबसे बड़ा धब्बा है। प्रशासन को चाहिए कि वे सीवरेज सफाई के लिए दिए गए ठेके के दौरान ठेकेदार को कहे कि वे छोटी-छोटी रेहड़ीनुमा कवर्ड ट्रालियां बनवाएं जिसमें सीवर सफाई के वक्त गंद डाला जाए और ठेकेेदार उन ट्रालियों को वहां से ले जा सके। इससे सड़कों पर कोई गंद एकत्र नहीं हो सकेेगा।
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