भोपाल
मध्य प्रदेश के मंदसौर में मंगलवार को किसान आंदोलन के दौरान पांच लोगों की मौत के बाद तनाव बना हुआ है। बुधवार सुबह बरखेड़ापंत गांव में किसानों ने फायरिंग में मारे गए युवक के शव से साथ रास्ता जाम कर दिया। इसके साथ ही मृतकों के परिजनों से मिलने गए मंदसौर के डीएम स्वतंत्र सिंह से धक्कामुक्की भी की गई। किसानों के गुस्से को देखते हुए अधिकारी वहां से भाग खड़े हुए। किसानों ने कलेक्टर के कपड़े तक फाड़ दिए और उनकी पिटाई की। इस बीच गुरुवार को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के मंदसौर जाने की खबर है। हालांकि खबरों के मुताबिक प्रशासन ने राहुल को मंदसौर जाने की इजाजत नहीं दी है। उधर किसानों का गुस्सा अभी जारी है। बरखेड़ा में एक बार फिर किसानों ने पुलिस पर पथराव किया है और कुछ गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया है। किसान सीएम शिवराज सिंह चौहान के घटनास्थल पर पहुंचने की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी किसान मीडिया को भी अपना निशाना बना रहे हैं।
कृषि उत्पादों के उचित मूल्य और अन्य मांगों को लेकर किसान एक जून से पश्चिमी मध्य प्रदेश में आंदोलन कर रहे हैं। मंगलवार को आंदोलन के हिंसक होने के बाद पुलिस की फायरिंग में 5 लोगों की मौत हो गई थी। कुछ प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मृतकों के शरीर पर कथित तौर पर गोली के निशान हैं, लेकिन जिला प्रशासन ने किसानों के उग्र होने के बावजूद उन पर पुलिस फायरिंग से इनकार किया है। कलेक्टर एसके सिंह ने इस घटना में पांच लोगों की मौत की पुष्टि करते हुए बताया कि इसकी न्यायिक जांच कराने के आदेश दिए गए हैं।
उन्होंने बताया कि पुलिस को आंदोलन कर रहे किसानों पर किसी भी स्थिति में गोली नहीं चलाने के आदेश दिए गए थे। उन्होंने बताया कि मरने वालों की पहचान मंदसौर के रहने वाले कन्हैयालाल पाटीदार, बबलू पाटीदार, चेन सिंह पाटीदार, अभिषेक पाटीदार और सत्यनारायण के तौर पर की गई है। अभिषेक और सत्यनारायण ने इलाज के लिये इंदौर ले जाते वक्त दम तोड़ दिया।
उन्होंने बताया कि घटनास्थल वाले जिले के तनावग्रस्त पिपल्यामंडी पुलिस थाना क्षेत्र में कर्फ्यू लगाया गया है तथा शेष पुलिस थाना क्षेत्रों में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू की गई है। सिंह ने बताया, ‘पुलिस ने हमें बताया कि पुलिस ने न तो गोली चलाई और न ही गोली चलाने के आदेश दिए।’
उन्होंने बताया कि मृतकों के पोस्टमॉर्टम की विडियोग्राफी कराई जा रही है। रिपोर्ट के बाद ही उनकी मौत का सही कारण मालूम हो सकेगा। एक प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार किसानों ने पिपल्यामंडी के पार्श्वनाथ इलाके में पथराव करने के बाद 10 वाहनों को आग लगा दी और किसान बेहद उग्र हो गए।
क्या हैं किसानों की मांगें
-स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू कराने की मांग। सभी कृषि मंडियों में केंद्र सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य से नीचे फसलों की बिक्री न हो।
-आलू, प्याज और अन्य सभी फसलों का समर्थन मूल्य घोषित हो। आलू और प्याज का समर्थन मूल्य 1,500 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग।
-किसानों के कृषि ऋण माफ हों। फसल के लिए मिलने वाला कृषि ऋण की सीमा 10 लाख रुपये की जाए।
-भारत सरकार के भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को बरकरार रखा जाए।
-एमपी में दूध का भाव तय करने का अधिकार किसानों को मिले। दूध का भाव 52 रुपये/ लीटर हो।
-डॉलर काबुली चना का बीज प्रमाणित कर उसका समर्थन मूल्य घोषित किया जाएगा। डॉलर काबुली चना भारत में सिर्फ एमपी में ही होता है।
-खाद, बीज और कीटनाशकों की कीमतें नियंत्रित हों।
-एक जून से जारी किसानों के आंदोलन के दौरान गिरफ्तार सभी किसानों को बिना शर्त रिहा करने की मांग।