धर्म

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से- 98

परीक्षित ने शुकदेव मुनि से सविनय करबद्ध होकर पूछा,हे गुरूदेवये चौदह लोक और इस संसार की रचना कैसे हुई? शुकदेवजी ने समझाया हे राजन् सर्वप्रथम परब्रह्म परमात्मा है। उनके सिवाय और दूसरा कोई नहीं है अत: इसीलिए उनको अद्वितीय भी कहा जाता है। इन्हीं परब्रह्म परमात्मा,पूर्ण परमात्मा सच्चिदानन्द का अंश अक्षर ब्रह्म हैं। अक्षर भगवान् के मन अव्याकृत का प्रतिबिम्ब इस संसार पर पड़ा। मन का कार्य हैं -बनाना।

संकल्प,विकल्प और कल्पना करना। हजारों प्रकार की वासनाएँ मन में उठी। कल्पना मोह रूपी समुद्र में पड़ी रही। हजारों वर्षो तक अण्डा रूप में समुद्र के पानी में पड़ी रही। फिर उसमें जीव-प्रविष्ट हुआ। उसने अपने आप को जानना चाहा और अपना नाम रखा-नारायण नर+अयन,मोह रूपी जल से जिसने अपना घर बनाया है, वह है,नारायण नार कहते है जल को ,और अयन कहते हैं घर को। नारायण की इच्छा हुई।

मैं एक हूं,एक से बहुत हो जाऊंऐसी इच्छा की। पंच तन्मात्रा हैं- शब्द,स्पर्श,रूप,रस गन्ध पाँच तत्व है- आकाश,वायु,पृथ्वी ,जल और अग्रि पांच क्रम इन्द्रियां है-श्रोत्रेन्द्रिय,चक्षु इन्द्रिय, घ्राण इन्द्रिय,रस इन्द्रिय और स्पर्श इन्द्रिय। तीन गुण हैं-सतोगुण,रजोगुण और तमोगुण। तीन देवता प्रमुख है-ब्रह्मा विष्णु और महेश। इस प्रकार सृष्टि की रचना क्रम प्रारम्भ हुआ।
ब्रह्मा का कार्य हुआ रचना करना।
विष्णु का कार्य है रक्षा करना,सँवारना,पालन पोषण करना।
शिव का कार्य हैं- संहार करना।

सत्यम् शिवम् सुन्दरम् के अनुसार इस सृष्टि की रचना इस प्रकार से हुई। हिन्दु धर्म दर्शन में इन्हें- ब्रह्मा,विष्णु और महेश कहते हैं। अरब देश में इन्हें मैकाइल, जबराईल और अजालील कहते हैं तथा अंग्रेजी भाषा में इन्हें गॉड के नाम से पुकारा जाता है। गॉड शब्द को हम इस प्रकार समझ सकते हैं।
G=Generator=बनाने वाला अर्थात् ब्रह्मा।
O=Operator= सँवारना अर्थात् विष्णु।
D=Destroyer =संहार करने वाला अर्थात् महेश।
इनकी मदद करनेवाले देवता भी हैं जैसे सरकार मन्त्रि-मंडल के सहयोग से चलती है,इसी प्रकार सृष्टि का संरक्षण भी अनेक देवताओं द्वारा होता है। परब्रह्म परमात्मा तो हैं राजा। ब्रह्मा,विष्णु और महादेव,ये तीन राजा के मन्त्री हैं। इनकी मदद के लिए अन्य मन्त्री कार्यकत्र्ता हैं।

इन्द्र भगवान-सिचाई के देवता है अर्थात् जल देवता।
नारदजी हैं- सूचना-मन्त्री।
लक्ष्मीजी हैं-धन विभाग मंत्री।
सरस्वतीजी हैं-बुद्धिदायिनी-शिक्षाविभाग मंत्री।
इस प्रकार यह देवताओं का मन्त्री मण्डल है जो परब्रह्म परमात्मा के आदेशानुसार कार्य करता है। परब्रह्म परमात्मा पराशक्ति हैं। मन्त्री मण्डल तो बदलता है। हर राज्य में मन्त्री अलग हैं, बदलते रहते हैं,परन्तु राष्ट्रपति सबका एक है। भूटान ,नेपाल आदि देशों में राजा का राज्य है। वहाँ सवैंधानिक राजतंत्र व प्रजातंत्र है। वहाँ राजा नहीं बदलता,परन्तु मन्त्री मण्डल बदलता रहता हैं। सच्चिदानन्द हैं- राजा,जो कभी नहीं बदलता।

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