हिसार

जो जैसा सोचता है वैसा ही बन जाता है: कुमारी सिद्धी


आदमपुर,

84 लाख योनियों के बाद इंसान को मनुष्य का जन्म मिलता है अगर इंसान को अपने जीवन मरण के बंघन से छुटकारा पाना है तो मानव जन्म में इंसान को भक्ति का सहारा लेकर इस बंघन से छुटकारा पाना चाहिए नही तो इंसान इस जीवन मरण के बंघन से कभी मुक्त नही हो सकता। उक्त विचार कुमारी सिद्धी बिश्नोई ने गांव सारंगपुर में विराट जाम्भाणी हरिकथा ज्ञान यज्ञ के 5वें दिन शुक्रवार को व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सुख-दुख, लाभ-हानि, जय-पराजय, मान-अपमान, अपना-पराया इत्यादि में समभाव एवं प्रसन्नचित्त रहना ईश्वर की सर्वोच्च भक्ति हैं।
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आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी, मन, बुद्धि, अहंकार इन आठों के संयोग से निर्मित जड़ प्रकृति में मोह रखने से ही मनुष्य को आवागमण के चक्कर में आना पड़ता हैं। जड़-प्रकृति से मन को हटाकर चेतन प्रकृति के चिंतन मनन एवं निदिध्यासन से मानव मोक्ष की मंजिल को प्राप्त करता हैं। जो व्यक्ति जैसा सोचता हैं, वैसा ही कार्य करने लगता हैं और एक दिन वैसा ही बन जाता हैं। इसलिए मनुष्य को सद्चिंतन, सत्कार्य, सत्संगति का सान्निध्य प्राप्त करना चाहिए।
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उन्होंने कहा कि जिसकी जैसी दृष्टि होती हैं, उसको सारी सृष्टि वैसी ही दिखाई देती हैं। मनुष्य का ह्रदय दया, क्षमा, करूणा, परोपकार, सदाचार, शिष्टाचार एवं ईश्वरीय प्रेम, भक्ति से परिपूर्ण होना चाहिए। जीवन जीने की सुंदर कला से सुखानुभूति एवं जीवन बोझे की तरह ढोने से दुखानुभूति होती हैं। प्रेम, भक्ति, ज्ञान से परिपूर्ण जीवन आनंदानुभूति कराने वाला होता और इनसे रहित जीवन बोझा बन जाता हैं। व्यक्ति को निष्काम कर्म करते हुए जीवन को सफल बनाना चाहिए। कर्म करने ह्रदय आनन्द से परिपूर्ण हो जाता हैं। कथा के दौरान कथा वाचिका के द्वारा भगवान गुरु जम्भेश्वर के द्वारा रोटुनगरी में उमा बाई के भरे गए भात के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया। वहीं कलाकारों द्वारा पेश की गई झांकी ने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। कथा वाचिका के द्वारा गुरू महिमा के भजन करते हुए सैंकड़ों की तादाद में बैठे श्रद्वालुओं को झुमने पर मजबुर कर दिया।
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