आदमपुर,
गांव आदमपुर के श्री गुरु जम्भेश्वर मंदिर में चल रही जाम्भाणी हरिकथा का रविवार को हवन के साथ समापन हुआ। स्वामी जुगति प्रकाश ने वेदमंत्रों एवं वेदमयी भगवान जाम्भोजी की वाणी से यज्ञ किया। जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने आहुति डाली। इस दौरान कथा वाचिका डा. मधु बिश्नोई ने कहा कि बिश्नोई समाज में कोई भी मांगलिक सत्कर्म बिना यज्ञ व पाहल के सम्पन्न नहीं होता। जीवन आधार पत्रिका यानि एक जगह सभी जानकारी..व्यक्तिगत विकास के साथ—साथ पारिवारिक सुरक्षा गारंटी और मासिक आमदनी भी..अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।
यज्ञ एवं पाहल के विषय में भगवान जाम्भोजी की वाणी एवं वेद मंत्रों के द्वारा बताया कि यज्ञ साक्षात भगवान श्री हरिविष्णु, भगवान जाम्भो जी का स्वरूप है। स्वामी जुगति प्रकाश ने यज्ञ के साक्षीभूत अमृतमय पाहल का महत्व व महिमा बताते हुए कहा कि जिस समय प्रथम बार अविभाजित काल में पाहल बना उस समय मृत्यु लोक से लेकर स्वर्ग पर्यंत इसका प्रचार व प्रसार किया गया।
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स्वर्ग में जब पता चला कि मृत्यु लोक में पाहल बनने वाला है, तो देवता स्वर्ग के सुख को भूल भाग खड़े हुए और जहां पाहल बनने वाला था उस घट के चारों ओर आकर विराजमान हो गए। आने वालों में ब्रह्म, शिव, इंद्र देव, रवि, चंद्र सहित 33 कोटि देवी-देवता आकर विराजमान हो गए। अमृतमय पाहल बनकर तैयार हुआ। देवियों में सर्वप्रथम गंगा को पाहल दिया गया तो पाहल लेते ही चमत्कार हुआ। गंगा में ऐसी शक्ति आ गई कि गंगा को कोई देखले, गंगा को छूले, गंगा का कोई पान करले तो उस जीव के जन्मातरीय सारे पाप नष्ट हो जाए और वह पवित्र हो जाए। दूसरों के पापों को नष्ट करने की गंगा में शक्ति पाहल के ही द्वारा आई। आज भी पाहल की वो ही शक्ति है। कथा के समापन पर प्रसाद वितरित किया गया।
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