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सीनियर वकीलों ने बताया न्यायपालिका के लिए आज काला दिन

नई दिल्ली,
देश के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के 4 सिटिंग जज न्यायपालिका की खामियों की शिकायत लेकर मीडिया के सामने आए और अपनी शिकायत गिनाई। सिटिंग जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। वरिष्ठ वकील इसे न्यायपालिका और लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा बता रहा हैं।
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इस मामले पर वरिष्ठ वकील उज्जवल निकम ने सबसे कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस जजों के इस कदम को न्यायपालिका के लिए काला दिन बताया है। निकम ने कहा कि जजों को अपनी शिकायतों रखने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस के अलावा कोई और रास्ता अपनाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि अब इस कदम के बाद देश का आम आदमी कोर्ट के हर फैसला पर सवाल उठा सकता है। निकम ने कहा कि अब से हर कोई न्यायपालिका के हर आदेश को संदेह की नजर से देख सकता है और हर फैसले पर सवाल उठाए जा सकते हैं।
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जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर बोलते हुए वरिष्ठ वकील और बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि जजों ने बहुत ही गंभीर मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा कि ये चारों ही जज काफी ईमानदार हैं और उनकी नियत पर सवाल नहीं उठाए जा सकते। स्वामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में दखल देने की मांग की है।
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पूर्व कानून मंत्री और वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद ने जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ये काफी दुखद और दर्दनाक है। उन्होंने कहा कि देश की सर्वोच्च अदालत का ये हाल हो गया है कि वहां के जजों को मीडिया में आकर अपनी बात कहनी पड़ रही है।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने इस मामले पर कहा कि ये बहुत गंभीर मामले है जिससे चीफ जस्टिस को कटघरे में खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि सीजेआई अपनी सत्ता का दुरुपयोग कर रहे हैं और इसके खिलाफ आवाज बुलंद करना अभूतपूर्व कदम है।
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वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी ने इस बेहद चौकाने वाली घटना बताया है। उन्होंने कहा कि जरूर कोई बड़ी वजह रही होगा तभी जाकर वरिष्ठ जजों ने यह कदम उठाने का फैसला लिया। उन्होंने कहा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ही जजों को चेहरों पर वो दर्द देखा जा सकता था।
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